लंदन: दुनिया घातक वायरस कोरोना का दंश झेल चुकी है। वायरस का दुष्प्रभाव एक अच्छे-खासे इंसान को कुछ दिनों या महीने भर में खत्म कर देता है।
वहीं अब एक जानकारी इबोला वायरस की भी आई है, जो चौंकाने वाली है। पहले इस वायरस को जितना खतरनाक समझा जा रहा था, ये उससे भी ज्यादा भयावह है।
नई रिसर्च के मुताबिक इबोला वायरस इंसान के दिमाग में सालों तक छिपा रह सकता है और उसकी जान का दुश्मन बना रहता है।
ये दावा अमेरिकन आर्मी ने अपनी ताज़ा रिसर्च में किया है। उनका कहना है कि इबोला संक्रमण होने के बाद अगर सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है, तो भी दिमाग में छिपा हुआ इबोला वायरस सालभर बाद भी अपना असर दिखाने में सक्षम है।
ये दिमाग के अंदर रहते हुए नए संक्रमण की वजह बन सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने बंदरों पर रिसर्च के बाद ये जानकारी साझा की है।
ये रिसर्च इबोला वायरस से रिकवर होने वाले मरीज़ों में बार-बार इसके संक्रमण को लेकर की गई है।
इबोला वायरस से संक्रमित होने वाले 50 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है या फिर ये संख्या ज्यादा भी हो सकती है।
अब तक इसके संक्रमण के ज्यादातर केस सब सहारा अफ्रीका में मिले हैं। साल 2021 में गिनी में इबोला वायरस फैला।
इसकी शुरुआत की वजह एक ऐसा शख्स बना, जिसके शरीर में इबोला वायरस 5 तक ज़िंदा रहा था। इसी केस को समझने के लिए बंदरों पर रिसर्च की गई। जब उनके दिमाग की जांच की गई, तो पता चला कि ये वायरस दिमाग के एक हिस्से में छिपा रह सकता है।
इस शोध में शामिल रिसर्चर केविंग जेंग के मुताबिक स्टडी में इस बात को लेकर रिसर्च की गई कि इबोला वायरस दिमाग में कहां छिप सकता है? स्टडी में सामने आया कि इबोला संक्रमण से रिकवरी होने के बाद हर 5 में से 1 बंदर के अंदर वायरस के अंश पाए गए हैं।
ये वायरस दिमाग के वेंट्रीकुलर सिस्टम में छिपा रह सकता है। इतना ही नहीं रिसर्च के दौरान ये भी सामने आया कि 2 बंदरों की मौत इबोला संक्रमण होने लंबे समय बाद हुई।
इन बंदरों में इबोला के अंश मिले थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह दोबारा इंफेक्शन के मामले जान पर भारी पड़ सकते हैं।