दिल्ली: यूक्रेन में फंसे करीब 15 हजार भारतीय छात्र अभी भी स्वदेश लौटने की राह देख रहे हैं। उधर रुस द्वारा यूक्रेन पर भारी बमबारी की जारी है। ऐसे में यह भारतीय छात्र इसी बमबारी के बीच ट्रेन से यूक्रेन बार्डर तक पहुंच रहे हैं।
हालांकि युद्धग्रस्त यूक्रेन से बाहर आना अभी भी आसान नहीं है। यूक्रेन बार्डर पर हजारों लोग रोमानिया पहुंचने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। कई भारतीय छात्रों के लिए यह इंतजार 16 से 24 घंटे लंबा खिच रहा है।
यूक्रेन में फंसे एक भारतीय छात्र अनिमेष ने बताया वह अपने कई अन्य साथियों के साथ रविवार सुबह यूक्रेन रोमानिया के बॉर्डर पर पहुंच गया था। हालांकि सुबह ही यूक्रेन बॉर्डर पहुंच जाने के बावजूद भी रविवार देर रात तक अनिमेष और उसके साथी यूक्रेन का बॉर्डर पार नहीं कर सके।
अनिमेष का कहना है कि यूक्रेन व रोमानिया बॉर्डर पार करने के लिए महज एक छोटी सी सड़क के एक छोर से दूसरे छोर तक जाना होता है, लेकिन यहां यूक्रेन बॉर्डर पर रोमानिया जाने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है।
एक अन्य भारतीय छात्र मयंक का कहना है कि बॉर्डर पार करने के लिए किसी प्रकार के दस्तावेज या अन्य प्रकार के व्यवधान नहीं उत्पन्न किए गए हैं।
लेकिन यहां यूक्रेन बॉर्डर पर छात्रों को रोमानिया आने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। मयंक के मुताबिक कई छात्र तो यहां 24 घंटे से भी अधिक समय से रुके हुए हैं। यूक्रेन बॉर्डर पर मौजूद छात्रों ने बताया कि बॉर्डर पार करने के लिए किसी वाहन या अन्य सवारी की आवश्यकता नहीं है।
यहां एक छोटी सी सड़क यूक्रेन से होकर रोमानिया में जाती है जिसे पैदल ही पार किया जा सकता है और यह सफर भी केवल कुछ ही मिनटों का है। लेकिन आवाजाही व्यवस्थित रखने के कारण यहां मौजूद लोगों को छोटे-छोटे ग्रुप में ही आगे बढ़ने की इजाजत है।
हालांकि लंबा समय यूक्रेन बॉर्डर पर बिताने के कारण कई छात्रों के पास खाने पीने का सामान खत्म भी होने लगा है। इसकी आपूर्ति बॉर्डर एरिया में बने छोटे-छोटे कैफे के जरिए पूरी की जा रही है।
यह कैफे दोनों देशों के बॉर्डर से कुछ दूरी पर स्थित है। अनिमेष के मुताबिक बॉर्डर पर स्थित कुछ कैसे कर्मचारियों द्वारा छात्रों के साथ धक्का-मुक्की व दुर्व्यवहार भी किया गया है।
गौरतलब है कि भारत के हर हजारों छात्र हर साल मेडिकल की पढ़ाई के लिए युक्रेन जाते हैं। इसका एक बड़ा कारण छात्रों को यूक्रेन में मिलने वाली सुविधाएं और सस्ती मेडिकल पढ़ाई और विश्व भर में यूक्रेन के विश्वविद्यालयों को दी जाने वाली मान्यता है।
भारत के मुकाबले यूक्रेन के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के अति महत्वपूर्ण पढ़ाई का खर्च आधा है। इसके साथ ही यूक्रेन में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले की प्रक्रिया भी भारत के मुकाबले काफी सरल है।
इन्हीं सब सुविधाओं को देखते हुए भारत के हजारों छात्र हर साल एमबीबीएस और बीडीएस जैसे मेडिकल कोर्स करने के लिए यूक्रेन का रुख करते हैं।
यूक्रेन में फिलहाल 14 बड़े मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें 18000 से अधिक भारतीय छात्र एमबीबीएस और बीडीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से करीब 1000 से अधिक छात्र स्वदेश भारत लौट चुके हैं जबकि अन्य छात्रों को वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है।
देश की प्रसिद्ध मेडिकल कोचिंग करवाने वाली संस्थाओं में से एक के निदेशक संदीप धमीजा के बताते हैं कि यूक्रेन में मेडिकल के लिए जितनी सीटें आरक्षित हैं उपलब्ध हैं उसके मुकाबले वहां स्थानीय स्तर पर काफी कम उम्मीदवार आवेदन करते हैं। यही कारण है कि मेडिकल सीट विदेशी छात्रों के लिए काफी सरलता से उपलब्ध हो जाती हैं। इसका लाभ भारतीय छात्रों को भी मिलता है।