मॉस्को: रूस की कई समाचार वेबसाइट सोमवार को हैक हो गईं। इन वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर एक संदेश आने लगा, जिसमें यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा की गई थी। वहीं, युद्ध को लेकर दिखाई जा रही खबरों से नाखुश रूस ने कुछ मीडिया मंचों पर रोक भी लगा दी है।
मीडिया में ऐसा हस्तक्षेप रूस की आम जनता के बीच बढ़ती युद्ध-विरोधी भावना का संकेत है। हालांकि, वेबसाइट हैक करने के पीछे किसका हाथ है, यह अभी तक पता नहीं चल पाया है। साथ ही, यह असहमति को दबाने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सरकार के प्रयासों का प्रमाण भी है।
रूस के संचार मंत्रालय और मीडिया निगरानी समूह ‘रोसकोम्नाडज़ोर’ ने युद्ध को लेकर दिखाई जा रही खबरों के मद्देनजर कई रूसी और यूक्रेनी मीडिया संगठनों पर रोक लगा दी है।
क्रेमलिन की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने वाली रूसी पत्रिका ‘द न्यू टाइम्स’ पर यूक्रेन में रूसी सैन्य हताहतों के बारे में विवरण देने के कारण रोक लगा दी गई, जिसका रूसी रक्षा मंत्रालय ने अभी तक खुलासा नहीं किया है।
रूस में पिछले चार दिनों से आक्रमण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जबकि लगभग 10 लाख लोगों ने युद्ध को समाप्त करने की मांग करते हुए एक ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं।
रूस में इन प्रदर्शनों में शामिल कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, अधिकारियों ने सोशल मीडिया मंच पर पाबंदियां लगाई हैं और स्वतंत्र समाचार साइट को बंद करने की धमकी दी है।
स्वतंत्र समाचार साइट ‘मेडुज़ा’ ने हैक की गई कुछ वेबसाइट के मुख्य पृष्ठों पर दिख रहे संदेश साझा किए। इस संदेश में लिखा है, ‘‘ प्रिय नागरिकों। हम आपसे निवेदन करते हैं कि यह पागलपन बंद करें और अपने बेटों और पति को मरने के लिए ना भेजें।
कुछ वर्ष में हम उत्तर कोरिया की तरह हो जाएंगे। इससे हमें क्या फायदा है? क्या पुतिन का नाम इतिहास में दर्ज होगा? यह युद्ध हमारे लिए नहीं है, इसे रोकें।’’
हैक की गई कई वेबसाइट को एक घंटे में बहाल कर लिया गया। सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने कहा, ‘‘ इस संदेश में वास्तविकता से जुड़ा कुछ नहीं था।’’