नई दिल्ली: (विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंसधारी) विनियम, 2021 के प्रावधानों में ढील देने या यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को भारत या विदेश में निजी कॉलेजों में अपना पाठ्यक्रम पूरा करने में सक्षम बनाने के विकल्प तलाशने की संभावनाओं पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विचार कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी), स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारी जल्द ही महत्वपूर्ण बैठक करेंगे और मानवीय आधार पर इस मुद्दे की समीक्षा की जाएगी और सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।
एनएमसी (विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंसधारी) विनियम, 2021 के प्रावधानों के अनुसार पूरा पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण और इंटर्नशिप या क्लर्कशिप पूरे अध्ययन के दौरान एक ही विदेशी चिकित्सा संस्थान में भारत के बाहर की जाएगी।
प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि चिकित्सा प्रशिक्षण और इंटर्नशिप का कोई भी हिस्सा भारत में या उस देश के अलावा किसी अन्य देश में नहीं किया जाएगा जहां से प्राथमिक चिकित्सा योग्यता प्राप्त की गई है।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि वर्तमान में उन चिकित्सा छात्रों को समायोजित करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के नियमों के तहत कोई मानदंड और नियम नहीं हैं जो विदेश में पढ़ रहे थे और जो एक अकादमिक सत्र के बीच भारत लौट आए थे।
सूत्र ने कहा, “हालांकि, ऐसी असाधारण स्थितियों को ध्यान में रखते हुए मानवीय आधार पर इस मुद्दे की समीक्षा की जाएगी और इसे सहानुभूतिपूर्वक देखा जाएगा।”
आधिकारिक सूत्र ने कहा, “स्वास्थ्य मंत्रालय और आयोग में एनएमसी (विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंसधारी) विनियम, 2021 के प्रावधानों में छूट की संभावना का पता लगाने या ऐसे छात्रों को निजी मेडिकल कॉलेजों में अपना पाठ्यक्रम पूरा करने या विदेशों में कॉलेजों में स्थानांतरण की संभावनाओं का पता लगाने पर चर्चा जा रही हैं।”
सूत्र के अनुसार रास्ता खोजने के लिए व्यापक चर्चा और संपूर्ण विचार-विमर्श की आवश्यकता है।
यूक्रेन में छह साल का एमबीबीएस पाठ्यक्रम और दो साल का इंटर्नशिप प्रोग्राम है और यह भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में काफी किफायती है।
ऐसे में युद्धग्रस्त देश से लौट रहे हजारों छात्रों का भविष्य अधर में है।