नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्रीय बजट को प्रगतिशील बताते हुये कहा कि सौ साल में आई सबसे बड़ी महामारी के बीच भारत की अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है।
यह सरकार के आर्थिक फैसलों और अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस गति को बनाये रखने के लिये अनेक कदम उठाये हैं।
प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को बजट के बाद वेबिनार की श्रृंखला में ‘विकास और आकांक्षात्मक अर्थव्यवस्था के लिए वित्तपोषण’ पर एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुये प्रगतिशील बजट पेश करने के लिये केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा की योजनाएं हमारे दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। बजट में सरकार ने तेज ग्रोथ के मोमेंटम को जारी रखने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
विदेशी पूंजी प्रवाह को प्रोत्साहित करके, इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश पर टैक्स कम करके, एनआईआईएफ, गिफ्ट सिटी, नए डीएफआई जैसे संस्थान बनाकर हमने वित्तीय और आर्थिक विकास को तेज गति देने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि आज देश आत्मनिर्भर भारत अभियान चला रहा है। हमारे देश की निर्भरता दूसरे देशों पर कम से कम हो, इससे जुड़े परियोजनाओं की वित्तपोषण के क्या विभिन्न मॉडल बनाए जा सकते हैं, इस बारे में मंथन आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने 8-10 ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने की आवश्यकता पर बल दिया, जहां भारत शीर्ष तीन में शामिल हो सके।
उन्होंने कहा कि इसके लिए वित्तीय संस्थानों के लिए ऐसी कंपनियों का समर्थन करना जरूरी है। यह निजी क्षेत्र की भागीदारी से संभव होगा।
इसके लिए उन्होंने निर्माण कंपनियों, व्यक्तिगत स्टार्ट-अप, ड्रोन, स्पेश और जियो सेक्टर को खोले जाने का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत की आकांक्षा हमारे एमएसएमईएस की मजबूती से जुड़ी हैं। एमएसएमईएस को मजबूत बनाने के लिए हमने बहुत से मौलिक सुधार किए हैं और नई योजनाएं बनाई हैं।
इन सुधार की सफलता, इनकी फाइनेंसिंग को को मजबूत करने पर निर्भर है।
मोदी ने ग्रामीण जरूरतों के अनुरूप वित्तीय समावेशन उत्पादों को तैयार करने के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसे सक्रिय मदद की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत की आकांक्षाएं प्राकृतिक और जैविक खेती से जुड़ी हैं। अगर कोई इनमें नया काम करने के लिए आगे आ रहा है तो हमारे वित्तीय संस्थाएं उसे कैसे मदद करें, इसके बारे में सोचा जाना आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन को पूरा करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं और हरित वित्त पोषण को समय की आवश्यकता बताया।
उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य रखा है। देश में इसके लिए काम शुरू हो चुका है।
इन कार्यों को गति देने के लिए पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं को गति देना आवश्यक है। ग्रीन फाइनेंसिंग और ऐसे नए पहलू का अध्ययन और कार्यान्वयन समय की मांग है।