रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के नौवें दिन गुरुवार को आजसू विधायक सुदेश कुमार महतो ने राज्य आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देने की मांग की। साथ ही उनके मानदेय और अन्य सुविधाओं को बढ़ाने की भी मांग की।
सुदेश महतो के सवाल पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि आजादी की लड़ाई लड़ने वालों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया गया है लेकिन राज्य सरकार के पास झारखंड आंदोलनकारियों को स्वतंत्रा सेनानी का दर्जा देने का फिलहाल कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है।
आलम ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों के मानदेय में थोड़ी वृद्धि हुई है। इन्हें 3000 मानदेय मिल रहा था उनका 3,500 और जिन्हें 5000 दिया जा रहा था उन्हें 5500 हजार मानदेय दिया जा रहा है।
इस पर सुदेश महतो ने कहा कि या दुर्भाग्य है कि राज्य की लड़ाई लड़ने वाला दल उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देने का अब तक फैसला नहीं ले सकी है।
इस पर विधायक मथुरा महतो ने कहा कि झारखंड आंदोलन के समय जो जेल गया। उसे ही नहीं बल्कि जो लोग आंदोलन में थे उन्हें भी झारखंड आंदोलनकारी का दर्जा दिया जाये।
सुदेश महतो ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी चिह्निकरण आयोग को वित्तीय अधिकार भी नहीं दिया गया है। अब तक सिर्फ 5000 लोगों को चिन्हित किया गया है जबकि 60,000 से अधिक आवेदन लंबित हैं।
विधायक स्टीफन मरांडी ने कहा कि आयोग के पास वित्तीय अधिकार और संसाधन नहीं है। उसको मजबूत कराया जाये। दीपक बिरूवा ने कहा कि चिह्निकरम आयोग को मरियल जैसा कर दिया गया है।
3000 और 5000 मानदेय नहीं सम्मान देना ज्यादा जरूरी है। पुरानी सरकार के लोग झारखंड आंदोलन में शामिल नहीं थे इसलिए उन्होंने ऐसा कर दिया।
दूसरी ओर बोकोरो जिला के पेटरवार स्थित बुंडू पंचायत में देर रात हुए बलात्कार का मामला विधानसभा में गरमाया। आजसू विधायक लंबोदर महतो विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठ गये।
विधायक का आरोप है कि नौ मार्च को बोकारो जिला के पेटरवार थाना क्षेत्र में दलित बच्ची के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के घटना घटी। जिला प्रशासन मामले की लीपापोती करने में जुटा है।
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही लंबोदर महतो ने मामले को सदन में उठाया। हजारीबाग विधायक मनीष जायसवाल ने भी यह मामला उठा।
दोनों विधायकों ने मांग की मामले में फास्ट ट्रैक का गठन हो और दोषी पाए जाने के बाद आरोपियों को फांसी की सजा दी जाए।