रांची: झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन का आंदोलन शुक्रवार रात आठ बजे से अगले आदेश तक के लिए स्थगित हो गया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें आश्वस्त किया है कि उनकी जितनी भी जायज मांगें हैं, उसे सरकार शीघ्र पूरा करेगी।
हेमंत सोरेन ने कहा कि पुलिस के जवान सरकार के अंग हैं। सरकार उनकी समस्याओं से पूरी तरह अवगत है। इसका समाधान निकाला जाएगा।
झारखंड विधानसभा में शुक्रवार को बजट सत्र के दौरान एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की।
दोनों पक्षों की वार्ता सकारात्मक रही। इसके बाद बुधवार से चल रहे सिपाहियों और हवलदारों के आंदोलन को फिलहाल स्थगित करने का निर्णय लिया। संगठन ने सरकार के सामने अपनी छोटी-बड़ी कुल 19 मांगें रखी हैं।
उल्लेखनीय है कि एसोसिएशन के आह्वान पर शुरू हुए इस आंदोलन में राज्य के करीब 73 हजार सिपाही-हवलदार हिस्सा ले रहे थे।
यह लोग काला बिल्ला लगाकर अपनी ड्यूटी कर रहे थे। यह कार्यक्रम शुक्रवार तक चलना था। इसके बाद एसोसिएशन ने 21 मार्च को सामूहिक उपवास की घोषणा की थी।
इसके बावजूद मांगें नहीं सुने जाने पर आगामी 14 अप्रैल से एसोसिएशन ने पांच दिनों के सामूहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी दी थी।
इनकी मुख्य मांगे
-20 दिनों का क्षतिपूर्ति अवकाश पहले की तरह बहाल करें।
-पुलिसकर्मियों को मिलने वाले एक माह के अतिरिक्त वेतन में त्रुटि का निदान करें।
-एसीपी-एमएसीपी से संबंधित आदेश में त्रुटि का निराकरण करें।
-सातवें वेतन के अनुरूप वर्दी, राशन, धुलाई, विशेष कर्तव्य, आरमोरर, चालक, दुह, राइफल, तकनीकी, शिक्षण व प्रशिक्षण भत्ते लागू हों।
-जवानों को बेहतर इलाज के लिए मेडिक्लेम की व्यवस्था या प्रतिपूर्ति की जटिल प्रक्रिया को समाप्त किया जाय।
– झारखंड में तनाव के कारण आए दिन जवान आत्महत्या कर रहे हैं, इसे रोकने के लिए सार्थक पहल किया जाय।
-उग्रवादी अभियान में लगे जवानों की सुविधा बढ़े, मनोबल बढ़ाया जाय।
-नए वाहिनी एवं राज्य के कई जिलों में पुलिसकर्मियों का कार्यालय, पारिवारिक आवास भवन व बैरक का निर्माण किया जाय।
-वर्ष 2004 के बाद बहाल जवानों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाय।
-शिकायत कोषांग, स्थानांतरण समिति, अनुकंपा समिति में पुलिस मेंस एसोसिएशन को सदस्य रखा जाय।
-मुसहरी कमेटी के अनुरूप जवानों को आठ घंटे की ड्यूटी व साप्ताहिक अवकाश प्रदान की जाय।
-केंद्र के अनुरूप झारखंड पुलिस के जवानों के भी दो बच्चे-बच्चियों की पूरी शिक्षा का खर्च दिलाया जाय।
-झारखंड के उन्नति में बलिदान देने वाले झारखंड पुलिस के जवानों के आश्रितों को भू-खंड देने के लिए नीति बनाएं व उनके जीविकोपार्जन के लिए गैस एजेंसी-पेट्रोल पंप की पात्रता की अनुशंसा की जाय।
-कानून व्यवस्था स्थापित करने में अपनी जान गंवाने वाले सिपाही-हवलदार को शहीद का दर्जा देते हुए
-राजकीय स्तर पर पुलिसकर्मी के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि के स्थान पर बंदूक से सलामी दी जाए।