नयी दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से प्रभावित कर रही है। भारत का रिएल एस्टेट क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है।
युद्ध के कारण बदली परिस्थितियों ने रिएल एस्टेट क्षेत्र के प्रति निवेशकों के रूझान को काफी कम कर दिया है।
इस जंग के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आये जबरदस्त उछाल और आपूर्ति संकट के बीच महंगाई पर काबू करने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति के सख्त करने की आशंका भी तेज हो गयी है।
ये सभी परिस्थितियां निवेश धारणा के प्रतिकूल साबित हो रही हैं। त्रेहन समूह के प्रबंध निदेशक श्रंश त्रेहन ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतें दस साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी हैं, इसके कारण डेवलपर्स को लाभ का स्तर बनाये रखने के लिये अपनी प्रॉपर्टी की कीमतों को बढ़ाना पड़ेगा।
स्टील, सीमेंट के साथ श्रम की लागत भी बढ़ गयी है और इनमें यह बढ़ोतरी पिछले दो साल से लगातार देखी जा रही है। मौजूदा वैश्विक परिदृश्य महंगाई को बढ़ाने वाला ही है।
उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण हो सकता है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति अप्रैल में होने वाली बैठक में ब्याज दरों को बढ़ा दे।
रिएल्टी कंसल्टेंट कोलियर्स के सीईओ रमेश नायर ने कहा कि मात्र दो सप्ताह में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 29 फीसदी बढ़ गयी हैं। कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेजी घरेलू स्तर पर ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी कर सकता है।
इससे परिवहन लागत बढ़ जायेगी और निर्माण क्षेत्र के कुल लागत में परिवहन की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा रिएल एस्टेट क्षेत्र के लिये अति महत्वपूर्ण कच्चा माल स्टील है, जिसके दाम मात्र एक सप्ताह में 17 प्रतिशत चढ़ गये हैं। इसी तरह सीमेंट की कीमतें भी बढ़ी हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक सीमेंट कंपनियों ने दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में लागत अधिक होने का हवाला देकर 50 किलोग्राम की बोरी का दाम पांच से 12 रुपये तक बढ़ा दिया है। कच्चे माल की लागत बढ़ने का असर निर्माण की लागत पर पड़ेगा।
रिएल्टी कंसल्टेंट एनरॉक के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा कि युद्ध के शुरू से पहले जब कोरोना महामारी हावी थी, तब से ही स्टील, सीमेंट आदि कच्चे माल की कीमतों पर दबाव बना हुआ था।
युद्ध शुरू होने के बाद से अल्यूमीनियम, स्टील/टीएमटी बार की कीमतें करीब 25 से 30 फीसदी बढ़ी हैं। इससे डेवलपर्स के लिये लागत मूल्य ही बढ़ गया है और अंत में इसका प्रतिकूल असर पूरे रिएल एस्टेट क्षेत्र पर दिखेगा।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में पेट्रोल की कीमतों में दहाई अंक की तेजी आ सकती है, जिससे आरबीआई पर ब्याज दर बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा। इससे आवास ऋण की ब्याज दर बढ़ जायेगी और यह घर खरीदने की चाह रखने वालों के लिये प्रतिकूल स्थिति होगी।
पुरी ने रिएल एस्टेट क्षेत्र में निवेश के संबंध में पूछे गये सवाल पर कहा कि जब शेयर बाजार तेज गिरावट में है तो निवेशक अपने निवेश को बेचने के बजाय बनाये रखेंगे और वे रिएल एस्टेट क्षेत्र में निवेश से कतरायेंगे।
हालांकि, रिएल्टी एडवाइजरी फर्म प्लिंथस्टोन के सीईओ हरीश शर्मा के मुताबिक शेयर बाजार में जारी उथलपुथल से रिएल्टी क्षेत्र को लाभ होगा। रिएल्ट एस्टेट क्षेत्र कम तरलता का है, इसी कारण अनिश्चितता के समय में निवेशकों का रूझान इस क्षेत्र में बढ़ता है।
इसके अलावा अब भी रिएल्टी क्षेत्र में कम कीमतें हैं और लोगों का आर्थिक सामथ्र्य उच्चतम स्तर पर है, जिसका लाभ रिएल्टी क्षेत्र को मिलेगा।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक वित्त वर्ष 22 रिएल एस्टेट क्षेत्र के लिये बेहतर साबित हुआ है। रेजीडेंशियल रिएल्टर ने चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह के दौरान 34,000 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी बेची, जो पूरे वित्त वर्ष 21 में बिकी प्रापर्टी के बराबर है।
क्रिसिल के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान घर से काम करने के बढ़े चलन से बड़े घरों के रुझान अधिक हुआ जिससे रिएल्टी क्षेत्र को लाभ हुआ।