नई दिल्ली: हालिया विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार को लेकर पार्टी की कार्य समिति में मंथन के एक दिन बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने सोमवार को कहा कि सोनिया गांधी को पार्टी की पूरी कमान अपने नियंत्रण में लेनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ ‘ट्वीट की संस्कृति’ और सोशल मीडिया प्रचार से संगठन को आगे नहीं बढ़ाया जा सकेगा।
मोइली ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में यह भी कहा कि पार्टी के वफादार त्रासदी के शिकार हो गए हैं क्योंकि ‘अवसरवादियों’ ने संगठन में पैठ बना ली है।
उनके मुताबिक, हार के कारणों पर मंथन जरूरी है, लेकिन किसी भी कांग्रेस कार्यकर्ता को हताश नहीं होना चाहिए क्योंकि इस वक्त कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता देश की जरूरत है।
मोइली कांग्रेस के ‘जी 23’ में शामिल थे, जिसने साल 2020 में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन की मांग उठाई थी।
वह खुद को इस समूह से अलग कर चुके हैं। उनका कहना है कि उनका इरादा कभी भी पार्टी के नेतृत्व पर निशाना साधने का नहीं था।
मोइली ने कहा, ‘‘जब मुझसे ज्ञापन (जी 23 के) पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया तो इसका इरादा कभी यह नहीं था कि पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा जाए। इसलिए मैं इस समूह से खुद को अलग कर रहा हूं।’’
उनके अनुसार, पार्टी सांसदों और धर्मनिरपेक्ष दलों के चाहने के बावजूद सोनिया गांधी प्रधानमंत्री नहीं बनीं और बाद में मनमोहन सिंह ने राहुल गांधी से मंत्री बनने को कहा तो वह नहीं बने।
इसकी वजह यह थी कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों कांग्रेस के काम को आगे बढ़ाना चाहते थे।
मोइली ने कहा कि सोनिया गांधी को पार्टी की कमान पूरी तरह से अपने नियंत्रण में लेनी चाहिए।