चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों में से एक नलिनी श्रीहरण से मंगलवार को पूछा कि कौन सा कानूनी प्रावधान एक उच्च न्यायालय को एक दोषी को जमानत देने का अधिकार देता है और उसे राहत पाने के लिए शीर्ष अदालत जाने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति डी बी चक्रवर्ती की पीठ ने नलिनी की ओर से दायर रिट याचिका पर आज सुनवाई करते हुए उक्त सवाल उठाया।
नलिनी तमिलनाडु सरकार की ओर से दी गई पैरोल पर जेल से बाहर है। उसने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आग्रह किया था कि उसे राज्य के राज्यपाल की सहमति के बिना ही रिहा किया जाए।
उसके वकील ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के मामले में अन्य दोषी ए जी पेरारिवलन को जमानत प्रदान कर दी है लिहाज़ा यही मानदंड उनकी मुवक्किल नलिनी पर भी लागू किए जाएं।
पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय देश में सर्वोच्च न्यायिक संस्था है और उच्च न्यायालय शीर्ष अदालत द्वारा अपनाए गए मानदंडों का अनुसरण नहीं कर सकता है।
पीठ ने वकील से पूछा कि वह बताएं ऐसा कौन सा कानूनी प्रावधान है जिसके तहत उच्च न्यायालय एक दोषी को जमानत दे सकता है? पीठ ने जमानत के लिए उच्चतम न्यायालय जाने की वकील को सलाह दी।
मामले में रिहा किए जाने को लेकर दायर मुख्य याचिका पर पीठ ने सुनवाई 24 मार्च को सूचीबद्ध कर दी।
शीर्ष अदालत ने नौ मार्च को पेरारिवलन को इस बात के मद्देनजर जमानत दे दी थी कि वह 30 साल से अधिक समय से जेल में है और जेल के अंदर और पैरोल की अवधि के दौरान उसका आचरण संतोषजनक रहा है। उसे हत्याकांड में उम्र कैद की सज़ा मिली हुई है।
पूर्व प्रधानमंत्री गांधी की 21 मई 1991 को आत्मघाती हमलावर धनु ने एक चुनावी रैली के दौरान हत्या कर दी थी। उसने तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुरदूर में गांधी के पास जाकर खुद को बम से उड़ा लिया था।