नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को होम्योपैथी पाठ्यक्रमों में दाखिले प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को अनिवार्य करने वाले नियम के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने प्रतिवादियों- आयुष मंत्रालय, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी और अन्य को नोटिस जारी किया। मामले पर आगे की सुनवाई 30 मार्च को होगी।
होम्योपैथिक कॉलेजों के एक समूह द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पाठ्यक्रमों की प्रकृति – आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा और होम्योपैथी अलग-अलग हैं और इन पाठ्यक्रमों में पढ़ाए जाने वाले विषय एक-दूसरे से अलग हैं।
याचिका में राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम, 2020 की धारा 14 और पिछले साल जारी सूचना बुलेटिन नीट (यूजी) की वैधता को भी चुनौती दी गई है।
हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते नीट के पर्सेटाइल क्राइटेरिया से संबंधित एक याचिका देखी थी, जिसमें बताया गया था कि डॉक्टरों की कमी है, चाहे एमबीबीएस हो या विशेषज्ञ।
इसके अलावा, यह पाया गया कि इस स्थिति के कारण छात्रों को यूक्रेन जैसी जगहों पर जाना पड़ता है। नीट पर्सेटाइल के अनुरूप स्कोर हर साल अलग-अलग होता है, जो क्वालिफाई करने वाले छात्रों की संख्या और उपलब्ध सीटों पर निर्भर करता है।
एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों को 40वें पर्सेटाइल के भीतर स्कोर करना होगा, जबकि सामान्य वर्ग के छात्रों को 50वें पर्सेटाइल के भीतर स्कोर करना होगा।