भोपाल: इंदौर की जिला अदालत ने शनिवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और छह अन्य को 11 साल पुराने एक मामले में दोषी ठहराया और उन्हें एक साल कैद की सजा सुनाई।
अदालत ने इन सभी पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
हालांकि बाद में शनिवार शाम सभी दोषियों को 25-25 हजार रुपये की राशि जमा कर जमानत पर रिहा कर दिया गया।
जमानत मिलने के बाद सिंह ने कहा कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है और वह इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।
मामले के तीन अन्य आरोपियों को उनके खिलाफ उपयुक्त सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया।
मामला 2011 का है, जब सिंह तत्कालीन कांग्रेस सांसद प्रेमचंद गुड्डू के साथ पार्टी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उज्जैन गए थे।
के.के. मिश्रा ने कहा…
जब सिंह उज्जैन जा रहे थे, उस समय भाजपा की युवा शाखा के कुछ सदस्यों ने उन्हें काले झंडे दिखाए, जो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रास नहीं आया, जिससे दोनों पक्षों में झड़प हो गई।
इस घटना में भाजपा की युवा शाखा के नेता अमय आप्टे गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जबकि कुछ अन्य भी घायल हो गए थे।
भाजपा की युवा शाखा ने सिंह सहित कांग्रेस नेताओं के खिलाफ हत्या के प्रयास का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।
सिंह और गुड्डू के अलावा मामले के अन्य आरोपी महेश परमार (पूर्व विधायक), दिलीप चौधरी, जय सिंह दरबार, असलम लाला, नैनंत नारायण मीणा, मुकेश भाटी और हेमंद चौहान थे।
मामले के नौ आरोपियों में से तीन – परमार, भाटी और चौहान को बरी कर दिया गया है, जबकि छह अन्य को एक साल की सजा सुनाई गई है।
कांग्रेस प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा, हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। कांग्रेस जानती है कि दिग्विजय सिंह और पार्टी के अन्य नेताओं को भाजपा ने मामले में फंसाया था।
कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में हम सिंह और अन्य लोगों के साथ खड़े हैं, जिन्हें झूठे मामले में दोषी ठहराया गया था। हम इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।