रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धमकी देने के मामले में पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा।
मुख्यमंत्री को जर्मन सर्वर का इस्तेमाल कर धमकी देने के मामले में इंटरपोल से मदद मांगने के बाद जर्मनी सरकार ने जवाब दिया है।
जर्मन सर्वर में डाटा संरक्षित नहीं होने के कारण अब यह जानकारी हासिल नहीं हो पाएगी कि किसने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धमकी दी है।
साइबर अपराधियों ने जर्मन कंपनी के सर्वर से मेल भेजा था
मुख्यमंत्री को साइबर अपराधियों ने जर्मन कंपनी के सर्वर से मेल भेजा था। इसके बाद इंटरपोल के जरिये जर्मनी से सर्वर का डिटेल मांगा गया था लेकिन अब जर्मन सरकार ने इंटरपोल के जरिए पत्राचार किया है। इसमें बताया गया है कि संबंधित सर्वर में डाटा एक साल तक ही संरक्षित होता है।
अब डाटा नहीं होने के कारण इसे इंटरपोल को नहीं सौंपा जा सकता। इसके बाद इंटरपोल ने इस संबंध में राज्य पुलिस की सीआईडी को जानकारी दी है।
इंटरपोल से राज्य की पुलिस सीधे अनुरोध नहीं कर सकती
मामले की जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली थी कि मुख्यमंत्री को लगातार धमकियां देने वाला सर्वर जर्मनी में है।
विदेशी सर्वर से जानकारी जुटाने के लिए इंटरपोल की मदद की जरूरत थी। इंटरपोल से राज्य की पुलिस सीधे अनुरोध नहीं कर सकती।
इसके बाद सीबीआई के जरिए ही इंटरपोल से मामले में कार्रवाई करायी जा सकती है। ऐसे में केस के अनुसंधानक ने सीआईडी मुख्यालय के आदेश से सीबीआई मुख्यालय दिल्ली को पत्र लिखा था।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पिछले वर्ष जुलाई महीने में ई-मेल भेजकर धमकी दी गई थी।