रांची: एसीबी के विशेष न्यायाधीश प्रकाश झा की अदालत ने मंगलवार को 12 साल पुराने मामले में बंदोबस्त पदाधिकारी बालेश्वर बड़ाइक को चार साल की सजा और एक लाख 20 हजार का जुर्माना लगाया है।
जुर्माना नहीं देने पर नौ महीना का अतिरिक्त सजा काटनी होगी। जबकि उनके क्लर्क मिथिलेश कुमार को दो साल की सजा, 40 हजार जुर्माना और राशि नहीं देने पर छह महीना की अतिरिक्त सजा तथा अमीन मो मकसुद आलम को डेढ़ साल की सजा, छह हजार जुर्माना और जुर्माना नहीं देने पर तीन महीना की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।
दो धाराओं में सजा सुनायी गयी, तीनों अभी जमानत पर थे
दोषियों को भ्रष्टाचार अधिनियम के अलग-अलग दो धाराओं में सजा सुनायी गयी। तीनों अभी जमानत पर थे। चार साल सजा होने के कारण बालेश्वर बड़ाइक को हिरासत में किया था।
बाद में साधु उरांव और बुधुवा उरांव के पक्ष में डिग्री हुआ था। उसके बाद अदालत ने बेड़ो सीओ को दखल दिलाने का आदेश दिया था।
सीओ ने दखल दिलाने के बाद कागजात बंदोबस्त पदाधिकारी बालेश्वर बड़ाइक के पास भेज दिया। पूरी तरह कब्जा दिलाने के लिए उन्होंने डेढ़ लाख रुपये घूस की मांग की।
बाद में मामला 50 हजार में तय हुआ। घूस मांगे जाने के बाद साधु उरांव और बुधुवा उरांव निगरानी एसपी के पास गये।
उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद धावा दल का गठन किया गया। धावा दल ने छापेमारी की तो बंदोबस्त पदाधिकारी बालेश्वर बड़ाइक को 40 हजार, उनके क्लर्क मिथिलेश कुमार को नौ हजार और अमीन मो मकसुद आलम को एक हजार कुल 50 हजार रुपये घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर सभी को जेल भेज दिया गया था।