वाशिंगटन: मधुमेह की समस्या आम हो गई है। इसका कारण गलत खान-पान है। अब वैज्ञानिकों को एक बड़ी कामयाबी मिली है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अल्ट्रासाउंड की मदद से टाइप-2 मधुमेह को काबू किया जा सकता है। खास बात यह है कि इस इलाज में न तो दवाइयों की जरूरत पड़ी और न ही इंजेक्शन की। यह अध्ययन जर्नल नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में प्रकाशित हुआ।
अमेरिका में जीई रिसर्च की एक टीम ने इस प्रयोग को अंजाम दिया है। इस टीम में येल स्कूल ऑफ मेडिसिन और फेंस्टीन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च के वैज्ञानिक भी शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि एक खास जगह पर लिवर में अल्ट्रासाउंड किरणें छोड़ी गईं। इससे शरीर में इंसुलिन, ग्लूकोज़ का स्तर काफी कम हो गया।
जानवरों पर किया गया इस्तेमाल के नतीजे उत्साहजनक
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस तकनीक का अभी परीक्षण चल रहा है। जानवरों पर किए गए प्रयोग के नतीजे उत्साहजनक रहे हैं।
उम्मीद है कि अगर यह तकनीक सफल रही तो आने वाले समय में ऐसे छोटे उपकरण बनाए जा सकेंगे, जिनसे लोग घर पर ही मधुमेह का इलाज कर सकेंगे।
तंत्रिकाओं को उत्तेजित किया
इस तकनीक को पेरिफेरल फोकस्ड अल्ट्रासाउंड स्टिमुलेशन (पीएफयूएस) नाम दिया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अल्ट्रासाउंड किरणों के जरिए लिवर के अंदर संवेदना पैदा करने वाली तंत्रिकाओं को उत्तेजित किया जा सकता है।
लिवर के खास हिस्से पर फोकस किया
शोधकर्ताओं ने बताया कि उनकी टीम ने लिवर के पोर्टा हेपेटिस नाम के हिस्से पर फोकस किया। यहां पर रीढ़ से आने वाली तंत्रिकाओं का जाल होता है।
यही हमारे दिमाग को सूचनाएं भेजती हैं कि शरीर में ग्लूकोज और न्यूट्रिएंट (पोषक तत्वों) का स्तर क्या है।
चूहों और सूअरों पर प्रयोग रहा सफल
शोधकर्ताओं ने बताया कि प्रयोग के दौरान लिवर के इस हिस्से में पीएफयूएस अल्ट्रासाउंड किरणें छोड़ी। इससे हाई ब्लड शुगर को फिर से सामान्य करने में कामयाबी मिली।
उन्होंने बताया कि अभी तक चूहों और सूअरों में इस तकनीक का प्रयोग सफल रहा है। इस दौरान महज तीन मिनट के लिए अल्ट्रासाउंड किरणें छोड़ी गई थीं, जिसने जानवरों में डायबिटीज का स्तर सामान्य कर दिया।