न्यूयॉर्क: साल 2020 की शुरुआत में कोविड-19 का सामना दुनिया ने पहली बार किया, तो जॉन हॉपकिन्स सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग की सह-निदेशक लॉरेन गार्डनर के विद्यार्थियों ने मिलकर जनवरी के महीने में कोविड-19 के एक ओरिजिनल डैशबोर्ड का निर्माण किया।
फरवरी के अंत तक इस डैशबोर्ड पर करोड़ों की संख्या में लोगों की नजर पड़ी।
गर्मियों के आते-आते इसके आंकड़ों की जांच करने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 450 करोड़ तक पहुंच गई।
अमेरिका में कोरोना के पहले मामले की पहचान 20 जनवरी, 2020 की गई और 22 जनवरी तक जॉन हॉपकिन्स ने अपने डैशबोर्ड को सार्वजनिक कर दिया, जिसमें महामारी से संबंधित सभी आंकड़े जनता के लिए उपलब्ध कराए गए।
संग्रह किए गए और लोगों के लिए प्रदर्शित किए गए सभी आंकड़ों को पहले गूगल शीट्स के माध्यम से पेश किया गया और बाद में गिटहब रिपॉजिटरी के माध्यम से उपलब्ध कराया गया।
एक ऐसे स्वतंत्र वेबसाइट पर काम करने के लिए गार्डनर को टाइम मैगजीन द्वारा दुनिया के 100 सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक माना गया।
इसके बाद और भी कई डैशबोर्ड मॉडल बने, जिनमें से एक रहा वॉशिंगटन विश्वविद्यालय का स्वास्थ्य मैट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान (आईएचएमई), जिनके माध्यम से कोरोनावायरस के मामलों को लेकर कई भयावह अनुमान लगाए गए।
अब बात आती है कि क्या ये मॉडल्स अहम भूमिका निभाते हैं?
इसके जवाब में एक ओपेन सोर्स एंड कम्यूनिटी डेटा साइंटिस्ट ने आईएएनएस को बताया, बिल्कुल ये मॉडल संभावित प्रभावों को लेकर एक दृश्यता प्रदान करते हैं, जिन्हें देखकर आम आदमी में एक समझ पैदा होती है और वे एक प्लानिंग कर पाते हैं।