जमशेदपुर: राज्य के पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि जांच पूरी होने तक स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को पद से मुक्त करें। राय शुक्रवार को जमशेदपुर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री ने वित्तीय अनियमितता की है, भ्रष्ट आचरण किया है। लगातार चार दिन के सरकारी अवकाश में ऑफिस खोलकर संबंधित संचिका में छेड़छाड़ किया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वे घपले-घोटाले वाली स्वास्थ्य विभाग की यह संचिका शीघ्र अपने पास मंगायें, तथ्य देखें, जांच करें और कार्रवाई करें।
साथ ही मुख्यमंत्री यह सुनिश्चित करायें कि सोमवार के पहले (अवकाश की अवधि में) स्वास्थ्य विभाग का ऑफिस किसी के भी द्वारा नहीं खोला जायेगा।
स्वास्थ्य मंत्री पर अवैध तरीके से कोरोना प्रोत्साहन राशि उठाने का आरोप लगानेवाले राय ने बन्ना के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी।
वहीं दूसरी ओर जमशेदपुर के एक कार्यक्रम में मंत्री बन्ना और सरयू राय आमने-सामने हुए। बन्ना ने सरयू के पैर छुए। दोनों अगल-बगल बैठे भी, लेकिन होंठ सिलकर।
मंत्री के ऊपर भी कोई सक्षम प्राधिकार होता है जो उनके बारे में निर्णय लेता है
कार्यक्रम से निकल कर सरयू राय ने 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के मौके पर स्वास्थ्य विभाग का दफ्तर खुलवाने और विभाग की ओर से आधिकारिक वक्तव्य जारी किये जाने को महापुरुष का अपमान बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप मढ़ डाला।
सरयू ने कोविड प्रोत्साहन राशि बांटे जाने को “बन्नाबांट” की उपमा देते हुए इसे बंदरबांट की तरह का संगीन मामला करार दिया है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने कल आधिकारिक वक्तव्य में कहा है कि मंत्री ने सक्षम प्राधिकार के आदेश से कोविड प्रोत्साहन राशि की “बन्नाबांट” की है जो बंदरबांट की तरह का ही संगीन अपराध है। राज्य की जनता को यह जानने का हक है कि स्वास्थ्य विभाग में सर्वोच्च सक्षम प्राधिकार कौन है।
क्या विभाग में मंत्री के ऊपर भी कोई सक्षम प्राधिकार होता है जो उनके बारे में निर्णय लेता है। क्या विभाग ने संबंधित विषय में इस बारे में मुख्यमंत्री या राज्यपाल का आदेश प्राप्त किया, जो सरकार में मंत्री के ऊपर सक्षम प्राधिकार हैं।