रांची: राज्य निर्वाचन आयोग मंत्रियों के सरकारी दौरे को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं मानता।
यदि वे सरकारी दौरे के क्रम में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार करेंगे तो इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।
आयोग ने फिलहाल इसकी जिम्मेदारी उपायुक्त सह जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को देने का निर्णय लिया है कि केंद्रीय मंत्रियों के दौरे के क्रम में आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा है या नहीं।
यदि आचार संहिता का उल्लंघन होता है तो उपायुक्त संबंधित प्रावधानों के तहत आवश्यक कार्रवाई करेंगे। आयोग इसे लेकर उपायुक्तों को पत्र भेज रहा है।
झामुमो तथा कांग्रेस ने संयुक्त रूप से राज्य निर्वाचन आयोग को ज्ञापन सौंपकर केंद्रीय मंत्रियों के दौरे पर रोक लगाने की मांग की है।
आदेश को रद्द करने की मांग की थी
दोनों का कहना है कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है, क्योंकि केंद्रीय मंत्री भाजपा के कार्यकर्ताओं से भी मिलेंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राज्य सरकार पर भारत के संघीय ढांचे पर प्रहार करने का आरोप लगाया है।
प्रकाश ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों का राज्य के विभिन्न आकांक्षी जिलों में प्रवास निर्धारित है, लेकिन राज्य सरकार उन्हें आवश्यक सुविधा उपलब्ध नही करा रही जो कि प्रोटोकाल का पूरी तरह से उल्लंघन है।
सवाल उठाया कि कांग्रेस पार्टी के नेता जब राज्य के दौरे पर आते हैं उन्हें किस दर्जे के तहत राज्य सरकार सुविधा उपलब्ध कराती है।
दीपक प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार के पदाधिकारी विभागीय कार्यों की समीक्षा होने से डर रहे हैं। इसीलिए आदर्श आचार संहिता का बहाना ढूंढकर केंद्रीय मंत्रियों के झारखंड दौरे को टलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि झारखंड में पंचायत चुनाव के दौरान 32 प्रखंड विकास पदाधिकारियों के पदस्थापन को लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा इस मामले को लेकर शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयोग पहुंची।
भाजपा के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव से मुलाकात कर उन्हें इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपा।
भाजपा ने इसे आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन मामला बताया और तत्काल पदस्थापन के आदेश को रद करने की मांग की थी।