रांची : भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड उत्पाद विभाग के वरीय पदाधिकारियों की ओर से झारखण्ड उत्पाद नियमावली 2022 की अवहेलना करने एवं राजस्व की क्षति का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है।
उन्होंने कहा कि उत्पाद विभाग के द्वारा नई उत्पाद नीति 2022 लाई गई है जिसके तहत एक मई 2022 से खुदरा एवं थोक शराब की बिक्री झारखंड स्टेट बेवरेजस कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के द्वारा की जाएगी।
लेकिन दोनों का संचालन निजी ईकाइयों के द्वारा करवाया जायेगा जिसके लिए विभाग ने प्लेसमेंट एजेंसी, गोदाम, एवं थोक बिक्री और अन्य संसाधन के लिए विगत दिनों टेंडर जारी किया है।
नई उत्पाद नीति के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 2300 करोड़ राजस्व लक्ष्य की प्राप्ति के लिए 1564 दुकानों को खोलने के साथ पूरे राज्य में कुल पांच थोक बिक्री केंद्र खोलने की बात मंत्रिमंडल से अनुमोदित नई उत्पाद निति 2022 में लिखी गयी है।
उपरोक्त राजस्व प्राप्ति के लिए प्रस्तावित 1564 दुकानों का खुलना सर्वोपरि हैं, नहीं तो राजस्व की भारी क्षति से इंकार नहीं किया जा सकता है।
प्लेसमेंट एजेंसी की सिक्यूरिटी डिपॉजिट से वसूल की जाएगी
राजस्व पर्षद की आपत्ति के बाद मंत्री परिषद से अनुमोदित नई उत्पाद निति 2022 में स्पष्ट है कि अगर किसी भी परिस्थिति में 2300 करोड़ रुपये राजस्व का कोई भी नुकसान होता है तो उसकी वसूली उक्त प्रमंडल में सेवा देने वाली प्लेसमेंट एजेंसी की सिक्यूरिटी डिपॉजिट से वसूल की जाएगी।
ऐसा सुनने में आ रहा है कि यहां के विभागीय पदाधिकारी छत्तीसगढ़ के चहेते मैनपावर कंपनी को टेंडर दिलाने एवं भविष्य में किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाने के लिए सिमित संख्या में दुकानों को खोलने का षड़यंत्र कर रहे हैं जिससे कम दुकानों के खुलने के कारण उत्पाद राजस्व गिरने के बावजूद प्लेसमेंट एजेंसी की सेवा देने वाली इकाई पर किसी भी प्रकार का आर्थिक दबाव ना हो।
अगर किसी भी सामान्य परिस्थिति में कोई निविदा निकाली जाती है तो निविदा डालने के लिए नियमतः 21 दिनों का समय दिया जाता है। लेकिन विभाग द्वारा सिर्फ 15 दिनों का ही समय दिया गया है।
विभाग के वरीय पदाधिकारी से पूछा जाना चाहिए कि आखिर किस कारण और किसके दबाव में आकर राजस्व के साथ ये खिलवाड़ करने की सजिश रची जा रही है।
अगर किसी भी परिस्थिति में 2300 करोड़ रुपये से कम राजस्व प्राप्ति होती है (जो होना तय जान पड़ता है) तो उसकी जवाबदेही किस-किस पर होगी।
अनुरोध है कि उपरोक्त तथ्यों की समीक्षा कर समुचित निर्णय लेने की कृपा करेगे, जिससे प्राइवेट आपरेटरों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी राजस्व प्राप्ति में क्षति के इस षड्यंत्र को समय रहते रोका जा सके।