रांची: हजारीबाग जिले के बड़कागांव, केरेडारी, कटकमदाग प्रखंड में एनटीपीसी (NTPC) सहित अन्य कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण के नाम पर तीन हजार करोड़ (अनुमानित) और तीन सौ करोड़ बंदरबांट किये जाने का मामला बुधवार को झारखंड हाई कोर्ट पहुंचा है।
इस मामले के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई। यह याचिका मंटू सोनी और अनिरुद्ध कुमार ने दाखिल की है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता ने बताया कि मुआवजा-भूमि घोटाला किए जाने का खुलासा छह साल पहले हुआ था।
देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली एसआईटी रिपोर्ट के छह साल बीत जाने के बाद भी अब तक एनटीपीसी और राज्य सरकार के किसी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि अधिकारियों की मिलीभगत से केंद्र सरकार के परियोजनाओं से राज्य सरकार को सरकारी जमीन के बदले हजारों करोड़ की राशि मिलती, जिसे अधिकारियों ने फर्जी कागज के सहारे बंदरबांट कर लिया।
हाई कोर्ट से इस पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच का आदेश दिये जाने की मांग की गई है।
कांड संख्या 44/16 दर्ज हुआ लेकिन कार्रवाई और रिकवरी अब तक नहीं हुई है
याचिका में कहा गया है कि देवाशीष गुप्ता कि अध्यक्षता वाली एसआईटी रिपोर्ट मिलने के बाद झारखण्ड के राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने 2017-18 के बीच एनटीपीसी के प्रबंध निदेशक और हज़ारीबाग़ उपायुक्त को कई बार पत्र लिखा।
पत्र में एसआईटी जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों और बिचौलियों को चिन्हित कर कार्रवाई के लिए बात कहीं लेकिन अब तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
प्रार्थी के अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता के मुताबिक़ मंटू सोनी द्वारा जांच रिपोर्ट की मांग राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग से की गई लेकिन विभाग की तरफ से जांच प्रक्रियाधीन रहने के कारण संयुक्त सचिव के निर्देश पर एसआईटी जांच रिपोर्ट नहीं दिए जाने का लिखित पत्र दिया गया है।
एनटीपीसी के चट्टी बरियातू-केरेडारी परियोजना से फर्जी पेपर के आधार पर 71 लाख मुआवजा लेने के मामले में केरेडारी थाना में कांड संख्या 44/16 दर्ज हुआ लेकिन कार्रवाई और रिकवरी अब तक नहीं हुई है।