नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी परम बीर सिंह और अन्य के खिलाफ तीन मामलों में जांच शुरू कर दी है।
पीई प्राथमिकी नहीं हैं, बल्कि गवाहों के खाते, दस्तावेजों आदि के आधार पर प्रथम ²ष्टया साक्ष्य एकत्र करने और जांचने की एक प्रक्रिया है।
यदि प्रथम ²ष्टया मामला बनता है, तो सीबीआई पीई को एफआईआर में बदल सकती है।
एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि सिंह, जितेंद्र नवलानी, पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा और अन्य के खिलाफ पीई शुरू की गई थी।
इन सभी पर रिश्वत लेने, जबरन वसूली करने और भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।
मुंबई पुलिस ने सिंह और अन्य के खिलाफ फिर से पांच प्राथमिकी दर्ज की थीं, जिन्हें संघीय जांच एजेंसी ने अपने कब्जे में ले लिया है।
शीर्ष अदालत के निर्देश पर सीबीआई ने सभी पांचों मामलों को फिर से दर्ज किया है।
सामाजिक कार्यकर्ता राकेश अरोड़ा ने सिंह और शर्मा के खिलाफ रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
उन्होंने आरोप लगाया था कि शर्मा और सिंह जुआ क्लबों से कथित तौर पर पैसे की उगाही करते थे।
दूसरा पीई सिंह के खिलाफ रंगदारी के आरोप से संबंधित है, जिसमें कारोबारी जीतू नवलानी भी आरोपी हैं।
सूत्र ने बताया कि सिंह ने नवलानी के जरिए रियल एस्टेट कारोबार में 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह पैसा कथित तौर पर जबरन वसूली और रिश्वत के जरिए जुटाया गया।
दूसरी ओर, नवलानी ने शिवसेना नेता संजय राउत पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था।
वहीं पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को एनआईए ने एंटीलिया बम केस से जुड़ी धमकी के मामले में गिरफ्तार किया था।
अंतिम पीई सिंह द्वारा सत्ता के कथित दुरुपयोग के संबंध में है, जब वह मुंबई के पुलिस आयुक्त थे।
सूत्र ने बताया कि जांच पूरी करने के बाद एजेंसी तय करेगी कि इन पीई को एफआईआर में बदला जाए या नहीं।