गुवाहाटी: असम सरकार ने सोमवार को विधानसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसमें सरकार द्वारा संचालित 600 मदरसों को बंद करने का प्रावधान है। इस पर विपक्षी कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने कड़ा विरोध जताया है।
असम के शिक्षा और वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र के उद्घाटन दिवस पर 1995 के असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) अधिनियम पेश किया।
सरमा ने एक ट्वीट में कहा, एक बार विधेयक पारित हो जाने के बाद, असम सरकार द्वारा मदरसा चलाने की प्रथा समाप्त हो जाएगी।
यह प्रथा आजादी से पहले असम में मुस्लिम लीग सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
कांग्रेस और मुस्लिम वोट बैंक वाली ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोकेट्रिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने विधेयक का कड़ा विरोध किया और कहा कि अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने के बाद वे मदरसा शिक्षा को फिर से शुरू करेंगे।
इससे पहले, सरमा ने कहा था कि राज्य सरकार ने शिक्षा को धर्मनिरपेक्ष बनाने का फैसला किया है और राज्य सरकार द्वारा प्रशासित 620 मदरसे बंद किए जाएंगे।
असम मंत्रिमंडल ने इससे पहले मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में एक बैठक में राज्य में सभी सरकार संचालित मदरसों और संस्कृत टोल्स (स्कूल) को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
सरमा ने मीडिया से कहा, सभी 620 सरकार की ओर से संचालित मदरसों को सामान्य स्कूलों में परिवर्तित किया जाएगा और कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत विश्वविद्यालय को 97 संस्कृत स्कूल सौंपे जाएंगे।
इन संस्कृत स्कूलों को शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्रों में परिवर्तित किया जाएगा, जहां भारतीय संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रवाद का अध्ययन किया जाएगा।
हालांकि उन्होंने कहा कि असम में निजी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे मदरसे बंद नहीं होंगे।
सरमा ने कहा कि राज्य सरकार मदरसों को चलाने के लिए सालाना 260 करोड़ रुपये खर्च कर रही है और सरकार धार्मिक शिक्षा के लिए सार्वजनिक धन खर्च नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि एकरूपता लाने के लिए सरकारी खजाने की कीमत पर कुरान पढ़ाना जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
सरमा ने दावा किया कि मदरसों में नामांकित अधिकांश छात्र डॉक्टर और इंजीनियर बनना चाहते हैं और इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि ये सामान्य स्कूल नहीं हैं।
मंत्री ने दावा किया कि अधिकांश इस्लामी विद्वान भी सरकार द्वारा मदरसों के संचालन के पक्ष में नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि ये मदरसे मुस्लिम लीग की विरासत हैं।