नई दिल्ली: कोरोना महामारी(corona pandemic) के बाद ज्यादा कीमत वाली कारों की बिक्री में इजाफा हुआ है। सस्ती कारों की बजाय लोग महंगी कारें खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। वर्तमान में 10 लाख रुपये से ज्यादा कीमत वाली कारों की बिक्री में काफी इजाफा हुआ है।
इसकी सबसे बड़ी वजह कोरोना महामारी के बाद कम आय वाले लोगों की इनकम में काफी गिरावट आई है। इससे वे इस वक्त नई कार खरीदने से बच रहे हैं। वहीं ज्यादा आय वाले लोगों का कार खरीदना जारी है।
रेटिंग एजेंसी CRISIL के एनालिसिस से पता चला है कि वित्त वर्ष 2022 में 10 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली कारों की बिक्री, जिसमें ज्यादातर यूटिलिटी व्हीकल (UV) शामिल हैं, पिछले साल की तुलना में 38प्रतिशत बढ़ी है।
यूटिलिटी व्हीकल कि बिक्री में पिछले साल की तुलना में 38प्रतिशत बढ़ी है
जबकि इसी अवधि के दौरान कम कीमत वाली कारों में मामूली 7प्रतिशत की वृद्धि हुई है।यह ट्रेंड दिखाता है कि अब लोग प्रीमियम व्हीकल खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
वैसे तो प्रीमियम सेगमेंट की ओर ये रुख कोविड 19 की बाद काफी तेजी से देखा गया है। क्रिसिल एनालिसिस से पता चला है कि वित्त वर्ष 2021 में 25प्रतिशत की तुलना में प्रीमियम कारों का अब कुल ऑटोमोटिव बाजार का 30प्रतिशत हिस्सा रखती हैं।
क्रिसिल के डायरेक्टर पुषन शर्मा(CRISIL director Pushan Sharma) ने बताया कि इस बदलाव के लिए बड़ी वजह यह हैं कि लोगों की इनकम में अब बड़ा अंतर आया है। जहां कोरोना के बाद कुछ लोगों की आय काफी बढ़ी है, वहीं मिडिल क्लास परिवारों की आय कम हुई है।
इसके अलावा लो-एंड कारों की कीमत काफी तेजी बढ़ी है। अब लोगों के पास इस सेगमेंट कम ऑप्शन हैं। कई कंपनियां इस सेगमेंट से बाहर हो गई हैं। टू-व्हीलर मार्केट में भी कुछ इस तरह का ट्रैंड देखने को मिल रहा है।
शर्मा ने बताया कि पिछले 5-6 सालों में 70,000 रुपये से अधिक कीमत वाले टू-व्हीलर की बिक्री लगातार बढ़ी है। यह सस्ती टू-व्हीलर के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसका कारण वित्त वर्ष 2015 से ऑनरशिप कॉस्ट में 40- 45प्रतिशत की वृद्धि और 50-55प्रतिशत बढ़ी हुई कीमत है।