रामगढ़: श्री 1008 जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा मोहत्सव(Shri 1008 Jinbimb Panchkalyanak Pran Pratishtha Mohtsav) के छठे दिन मुनि श्री 108 प्रमाण सागर महाराज के सानिध्य में प्रतिष्ठा चार्य अभय भैया और अशोक भैया के निर्देशन में ”ज्ञान कल्याणक” की पूजा अर्चना की गई।
मंगलवार की देर शाम राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, हजारीबाग विधायक मनीष जायसवाल, पूर्व विधायक शंकर चौधरी, एसडीपीओ किशोर कुमार रजक ने मुनि श्री का दर्शन किया।
साथ ही श्री फल भेट किया कर आशीर्वाद लिया। बुधवार की सुबह श्री जी का जलाभिषेक एवं शांतिधारा किया गया। वही, मुनि श्री द्वारा मंगल देश ना, दोपहर में केवल ज्ञान के अंतर्गत विशेष मंत्र आराधना, सूरी मंत्र, प्राण प्रतिष्ठा, समोसरण की रचना की गई।
जबकि संध्या में संखा समाधान, महाआरती व शास्त्र प्रवचन के अलावा संस्कृत कार्यक्रम किया गया।
ज्ञान कल्याणक का क्या है महत्व
अब तक के समस्त कार्य तो मनुष्य मात्र में कम-ज्यादा रूप में समान होते रहते हैं, लेकिन संसार की विरक्ति का कोई कारण बने बिना मुक्ति का मार्ग प्रशस्त नहीं होता।यह भी तभी संभव है जब मनुष्य के संस्कार चिंतन को सही दिशा में ले जाने की क्षमता रखते हों।
भगवान के कर्मयोगी जीवन, जिनमें सांसारिक कार्य, राज्य संचालन, परिवार संचालन आदि सम्मिलित होते हैं के बीच एक दिन उन्हें ध्यान आता है, भगवान चंद्रप्रभु के जीवन चरित्र के अनुसार आयु का इतना लंबा काल मैंने केवल सांसारिकता में ही खो दिया।
अब तक मैंने संसार की सम्पदा का भोग किया। लेकिन मुझे आत्मिक सम्पदा का भोग करना हैं। संसार का यह रूप, सम्पदाक्षणिक है, अस्थिर है, किन्तु आत्मा का रूप सम्पदा का भोग करना है।
संसार का यह रूप, सम्पदाक्षणिक है, अस्थिर है। लेकिन त्मा का रूप आलौकिक है, आत्मा की सम्पदा अनंत अक्षय है। मैं अब इसी के पुरूषार्थ जाऊंगा।
इंद्र इंद्राणी बनने का इन्हें मिला शोभाग्य
सो धर्म इंद्र-इंद्राणी दिलीप चूड़ीवाल सपत्नीक सुनील चूड़ीवाल, भगवान के माता पिता रमेश सेठी सपत्नीक सरला सेठी, कुबेर राजेंद्र पाटनी सपत्नीक प्रिया पाटनी को सौभाग्य प्राप्त हुआ।