नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच मंगलवार को किसानों की उपज और अन्य उत्पादों की पहुंच देश के विभिन्न भागों और मंडियों तक करने वाली एक दूसरी रेल सुविधा ‘मालगाड़ियों के लिए पृथक गलियारा’ परियोजना के पहले खंड का उद्घाटन किया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में ईडीएफसी के परिचालन नियंत्रण केन्द्र (ओसीसी) का भी शुभारंभ किया।
मोदी ने पूर्वी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के 351 किलोमीटर लम्बे ‘न्यू भाऊपुर-न्यू खुर्जा का उद्घाटन करते हुए कहा कि इन रेल पटरियों पर जब पहली मालगाड़ी गुजरी तो उसमें आत्मनिर्भर भारत की गूंज और गर्जना साफ सुनाई दी।
उन्होंने कहा कि इस गलियारे से मालगाड़ियों की गति तीन गुना हो जाएगी।
इस गलियारे पर डबल डेकर मालगाड़ियां चलाई जा सकेंगी। इससे कारोबार बढ़ेगा, निवेश बढ़ेगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
कारोबारी हो, किसान हो या उपभोक्ता सभी को इसका लाभ मिलेगा।
पृथक गलियारे के कारण यात्री ट्रेन की गति में भी सुधार होगा। इसका फायदा यह होगा कि कानपुर-दिल्ली रूट पर ट्रेनें लेट नहीं होंगी। मालगाड़ियां भी समय पर पहुंच सकेंगी।
उन्होंने कहा कि यह गलियारे आत्मनिर्भर भारत के बहुत बड़े माध्यम बनेंगे।
उद्योग हो, व्यापार-कारोबार हो,किसान हो या फिर उपभोक्ता, हर किसी को इनका लाभ मिलने वाला है।
लुधियाना और वाराणसी का कपड़ा निर्माता हो, या फिरोजपुर का किसान, अलीगढ़ का ताला निर्माता हो, या राजस्थान का संगमरमर कारोबारी, मलिहाबाद का आम उत्पादक हो, या कानपुर और आगरा का लैदर उद्योग, भदोही का कालीन उद्योग हो, या फिर फरीदाबाद की कार इंडस्ट्री, हर किसी के लिए ये अवसर ही अवसर लेकर आया है।
विशेषतौर पर औद्योगिक रूप से पीछे रह गए पूर्वी भारत को ये मालवाहक गलियारा नई ऊर्जा देने वाला है।
इसका करीब-करीब 60 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश में है, इसलिए यूपी के हर छोटे-बड़े उद्योग को इससे लाभ होगा।
देश और विदेश के उद्योगों में जिस प्रकार यूपी के प्रति आकर्षण बीते सालों में पैदा हुआ है, वो और अधिक बढ़ेगा।
इस गलियारे को किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी बताते हुए उन्होंने किसान रेल और नए मालवाहक गलियारे का उल्लेख किया।
उल्लेखनीय है कि मोदी ने सोमवार को 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
किसान रेल एक चलता फिरता कोल्ड स्टोर है, जिसमें कृषि उत्पाद और सब्जियों को बिना खराब हुए दूर-दराज की मंडियों तक पहुंचाया जा सकता है।
24 घंटे के अंदर मोदी सरकार ने पृथक मालवाहक गलियारे का लोकार्पण किया, जिसका फायदा भी किसान उठा सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में किसान आंदोलन का सीधे रूप से उल्लेख नहीं किया लेकिन उन्होंने कहा कि प्रदर्शनों और आंदोलनों से देश के आधारभूत ढांचे संबंधी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आधारभूत ढांचे की संपत्ति किसी नेता, किसी दल और किसी सरकार की नहीं है। यह देश की संपत्ति है।
उन्होंने कहा, “इसमें समाज के हर गरीब का, हर करदाता का, मध्यम वर्ग का, समाज के हर वर्ग का पसीना लगा हुआ है।
इसको लगने वाली हर चोट, देश के गरीब, देश के सामान्य जन को चोट है। इसलिए अपना लोकतांत्रिक अधिकार जताते हुए हमें अपने राष्ट्रीय दायित्व को कभी नहीं भूलना चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नुकसान पंजाब में भारतीय रेल को उठाना पड़ा था।
करीब दो महीने तक रेल पटरियों पर किसानों के धरने के कारण रेल आवागमन रोक दिया गया था जिससे रेलवे को भारी नुकसान हुआ था।
बाद में पंजाब और हरियाणा के किसानों का हुजूम राजधानी दिल्ली के बाहरी राजमार्गों पर पहुंच गया और उन्हें बाधित कर रखा है।
नए घटनाक्रम में पंजाब में दूरसंचार के आधारभूत ढांचे को नुकसान पहुंचाने की रिपोर्ट आई हैं।
अनेक स्थानों पर मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है जिसके बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है।
प्रधानमंत्री ने देश के आधारभूत ढांचे और उसके विकास को राजनीति से अलग रखने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि आधारभूत ढांचा किसी दल की देश का आधारभूत ढांचा, किसी दल की विचारधारा का नहीं, देश के विकास का मार्ग होता है।
ये पांच साल की राजनीति का नहीं बल्कि आने वाली अनेकों पीढ़ियों को लाभ देने वाला मिशन है।
राजनीतिक दलों को अगर स्पर्धा करनी ही है, तो आधारभूत ढांचा की गुणवत्ता में स्पर्धा हो, गति और व्यापकता को लेकर स्पर्धा हो।
मोदी ने भारतीय रेल और उसके कर्मचारियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस रेलवे को आंदोलनों के दौरान अकसर निशाना बनाया जाता है वे मुश्किल परिस्थितियों में कितने सेवाभाव से काम करते हैं यह देश ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान देखा है।
रेलवे ने लाखों श्रमिकों को घरों तक पहुंचाया तथा गांव लौटे श्रमिकों के लिए एक लाख से अधिक श्रमिक दिवसों का रोजगार सृजित किया।
प्रधानमंत्री ने आधारभूत ढांचे के विकास के संबंध में पहले की मनमोहन सिंह सरकार पर तीखा हमला किया।
उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं की रूपरेखा यूपीए सरकार के दौरान तैयार की गई थी लेकिन उसकी उदासीनता और नकारेपन के कारण काम आगे नहीं बढ़ सका।
मोदी ने मालवाहक गलियारे संबंधी आंकड़े का हवाला देते हुए कहा कि आठ साल में एक भी किलोमीटर नहीं और छह-सात साल में 1100 किमी का काम काम अगले कुछ महीनों में पूरा हो जाएगा।
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर राजनीतिक उदासीनता का नुकसान सिर्फ फ्रेट कॉरिडोर को ही नहीं उठाना पड़ा है बल्कि रेलवे से जुड़ा पूरा सिस्टम ही इसका भुक्तभोगी रहा है।
81 हजार करोड़ की लागत से तैयार हो रहे पूर्वी और पश्चिमी मालवाहक गलियारे
भारतीय रेलवे 81 हजार करोड़ की लागत से दो फ्रेट कॉरिडोर तैयार करा है। इसमें वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर 1506 किमी लम्बा है।
वह जेएनपीटी मुंबई को दादरी उत्तर प्रदेश से जोड़ेगा।
वहीं ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर 1875 किमी लम्बा है। यह लुधियाना पंजाब को दानकुनी पश्चिम बंगाल से जोड़ेगा।
351 किमी लम्बा न्यू भाऊपुर-न्यू खुर्जा सेक्शन 5,750 करोड़ रुपये की लागत तैयार
ईडीएफसी का 351 किलोमीटर लम्बा न्यू भाऊपुर- न्यू खुर्जा सेक्शन उत्तर प्रदेश में स्थित है और इसे 5,750 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।
ईडीएफसी (1875 मार्ग किमी) लुधियाना (पंजाब) के पास साहनेवाल से शुरू होता है और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों से गुजरकर पश्चिम बंगाल के दनकुनी में समाप्त होता है।
इसका निर्माण डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) द्वारा किया जा रहा है, जिसे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण और संचालन के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन के रूप में स्थापित किया गया है।