नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर आक्रोशित किसानों की समस्याओं का समाधान निकालने के बजाय सिर्फ वार्ता का दौर बढ़ाने का आरोप लगाया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने कहा है कि सरकार बातचीत की बात करती है, प्रस्ताव भी भेजती है लेकिन कानून को लेकर वो जड़मत है, ऐसे में समाधान निकल पाना आसान नहीं है।
सरकार को राजहठ छोड़ते हुए किसानों की बात सुननी चाहिए।
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा एवं उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में केंद्र की मोदी सरकार पर किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।
कुमारी शैलजा ने कहा कि सरकार सिर्फ वार्ता का दौर बढ़ाने का काम कर रही है क्योंकि किसान जिस समाधान की मांग कर रहे हैं उस पर तो केंद्र जड़मत है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार कहे कि वो झुकने वाली नहीं है तो फिर कैसे कहा जा सकता है कि बातचीत से कोई हल निकलेगा या फिर किसानों को इंसाफ मिल पाएगा।
उन्होंने सरकार से गुजारिश की है कि वे राजहठ छोड़कर लोकतंत्र में किसानों और आम लोगों की सुनें।
कुमारी शैलजा ने कहा कि पहले तो सरकार कानून पर हठ करती है और फिर कहती है कि वो इसमें 22 संशोधन कर सकती है। आखिर इन 22 संशोधनों का क्या मतलब है।
जब इतने परिवर्तन करने ही हैं तो फिर किसानों के हक की ही बात करनी चाहिए। जरूरत है कि सरकार स्पष्ट बात करे और किसानों की समस्याओं का समाधान निकाले।
प्रीतम सिंह ने कहा कि मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद किसानों से झूठे वादे करती आई है।
2017 में उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनने पर प्रधानमंत्री उत्तराखंड गए थे और डबल इंजन की सरकार बनने पर किसानों का ऋण माफ होने का वादा किया था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इसी प्रकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के दावे किए जाते हैं मगर 2021 का आगाज होने तक ऐसा कोई कार्य सरकार ने नहीं किया है, जिससे किसानों को लाभ हो।
किसान सम्मान निधि देने की बात भी मोदी जी ने कही थी लेकिन उसकी हकीहत भी किसी से छिपी नहीं है।
उन्होंने कहा कि हरिद्वार जनपद की लक्सर तहसील में दो गांवों के 185 लोगों को फर्जी तरीके से किसान सम्मान निधि दी गई।
इनमें कई लोग मर चुके हैं, तो कुछ सरकारी कर्मचारी हैं तो कुछ के पास जमीन भी नहीं है।
इस तरीके से सिर्फ दो गांवों में 15 लाख रुपये का भ्रष्टाचार हुआ तो फिर पूरे देश में योजना की क्या स्थिति रही होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि एक ओर तो सरकार ने मंडियों को समाप्त कर दिया कि इससे बिचौलिये खत्म होंगे।
लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अगर सरकारी मंडी बंद होगी तो इससे निजी मंडियां उभरेंगी।
ऐसी स्थिति में क्या सरकार यह बताएगी कि उन निजी मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया जायेगा।
किसान आंदोलन को भड़काने के सरकार के आरोप पर कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर देश के अन्नदाता सड़कों पर होंगे तो कांग्रेस मौन नहीं रहेगी। वो किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगी।
उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन बुधवार को 35वें दिन में प्रवेश कर चुका है।
कड़कड़ाती ठंड के बावजूद किसान अपनी मांगों पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं, जबकि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि यह कानून रद्द नहीं होगा, जरूरत के हिसाब से संशोधन किया जा सकता है।