रांची : मेयर आशा लकड़ा (Asha Lakra) ने कहा कि रांची नगर निगम से संबंधित किसी भी कार्य के लिए निगम परिषद की स्वीकृति अनिवार्य है।
पूर्व में नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) द्वारा 48,93,76,278 रुपये की लागत से 48 योजनाओं का स्वतः निष्पादन किया। इन योजनाओं के लिए निगम परिषद स्वीकृति नहीं ली गई।
मेयर ने शुक्रवार को कहा कि 19 फरवरी को नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) को पत्र के माध्यम से सूचित किया गया था कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 की किस धारा के तहत 48 करोड़ की योजनाओं को परिषद की बैठक में लाकर घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की जा सकती है।
इस संबंध में नगर विकास विभाग से भी उचित परामर्श मांगा गया है लेकिन अब तक विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
नगर विकास विभाग (urban development department) से प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त कर नगर आयुक्त ने न तो इन योजनाओं की जानकारी दी और न ही निगम परिषद की बैठक में इन योजनाओं से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए उपस्थापित किया गया।
नियमानुसार निगम परिषद की बैठक में स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही टेंडर प्रक्रिया पूरा करने का प्रावधान है।
हालांकि, नगर आयुक्त ने निगम परिषद को गुमराह करते हुए इन 48 योजनाओं का न सिर्फ टेंडर किया बल्कि कार्य आदेश भी प्रदान कर दिया।
मेयर ने कहा …
अब संबंधित योजनाओं का कार्य करने वाले संवेदकों को भुगतान करना है तो नगर आयुक्त न योजनाओं को घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान करने के लिए दबाव बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग के तहत आवंटित राशि से शहर के विकास के लिए बड़ी योजनाओं का चयन निगम परिषद (corporate council) के माध्यम से ही किया जाना है।
नगर विकास विभाग की ओर से अनुशंसित योजनाओं को स्वीकृति प्रदान करना निगम परिषद या स्थाई समिति की बाध्यता नहीं है।
नगर विकास विभाग या नगर आयुक्त के माध्यम से किसी योजना को लेकर तैयार किए गए प्रस्ताव पर भी निगम परिषद की स्वीकृति अनिवार्य है।
मेयर ने यह भी कहा कि जिन योजनाओं को नगर आयुक्त ने स्वतः निष्पादित किया है, उसके प्रति वे स्वयं जिम्मेदार है।
राज्य सरकार (State government) की अधिसूचना के तहत यह अधिकार दिया गया है कि निगम परिषद एवं स्थाई समिति की बैठक के लिए एजेंडा या प्रस्ताव मेयर को निर्धारित करना है।