नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राजस्थान के राजसमंद जिले में साढ़े सात साल की बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या के दोषी को हाईकोर्ट की ओर से मुकर्रर फांसी की सजा पर मुहर लगा दी है।
जस्टिस एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह अपराध अत्यधिक वीभत्स था जो अंतरात्मा को झकझोर देता है। इसमें मौत की सजा की पुष्टि के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
मामले के दोषी मनोज प्रताप सिंह ने 17 जनवरी 2013 को मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग लड़की का उसके माता-पिता के सामने अपहरण कर लिया था
असहाय बच्ची का सिर कुचल दिया गया था
दोषी ने नाबालिग लड़की के साथ निर्जन स्थान पर दुष्कर्म (rape) किया और बाद में उसकी सिर कुचलकर हत्या कर दी थी।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि असहाय बच्ची का सिर कुचल दिया गया था। कोर्ट ने दोषी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि मामले में परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए।
कोर्ट (Court) ने कहा कि अगर इस तरह के सबूत पर दोष सिद्ध किया जा सकता है तो अपराध की प्रकृति के आधार पर अधिकतम सजा दी जा सकती है।