मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत अब 2020 की महामारी के सबसे बुरे दौर से निकलने को तैयार है। वित्त मंत्रालय द्वारा कैश को संरक्षित करने के लिए वर्ष के शुरू में 80 से अधिक सरकारी विभागों और मंत्रालयों पर लगाए गए अंकुश को इस तिमाही में ढीला कर दिया गया है।
जब नए खर्च की योजना को 1 फरवरी के बजट में पेश किया जाएगा तो इस साल के बजट को वर्तमान से बढ़ाकर 407 अरब डॉलर कर दिया जाएगा।
इससे कोरोना महामारी से प्रभावित हालात को मदद करने के लिए बहुत जरूरी खर्च को बढ़ावा मिलेगा।
अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष के 9 महीने बीत जाने हैं। इसके बाद भी कुल खर्च का आधा खर्च भी अभी तक नहीं हुआ है।
कोरोना महामारी से उपजे हालात को वापस पटरी पर लाने के लिए सरकारी खर्च जितना ज्यादा करेगी, उससे रिकवरी में उतनी ज्यादा ही मदद मिलेगी।
कई और उपायों की घोषणा
बजट खर्च के अलावा, मोदी सरकार ने उन उपायों की घोषणा की है जो उसने कहा है कि व्यवसायों और नौकरियों को बचाने के लिए अतिरिक्त 30 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 15 फीसदी) की मदद दी है।
हालांकि, इस पैकेज को कुछ अर्थशास्त्रियों ने नाकाफी करार दिया और कहा कि यह सकल घरेलू उत्पाद के 2 फीसदी से भी कम था क्योंकि इसमें ज्यादातर लोन गारंटी थी।