नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) सरकार ने 4 जुलाई को दिल्ली विधानसभा में विधायकों, मंत्रियों, स्पीकर और विपक्ष के नेता (LOP) के वेतन और भत्ते में बढ़ोतरी के बिल को मंजूरी दे दी।
राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों को मंजूरी मिलने के बाद, दिल्ली के विधायकों का वेतन 54,000 रुपये प्रति माह से बढ़कर 90,000 रुपये हो जाएगा।
अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा पारित विधेयकों में मुख्यमंत्री और मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्य सचेतक और विपक्ष के नेता के वेतन और भत्ते को मौजूदा 72,000 रुपये से बढ़ाकर 1,70,000 रुपये करने का भी प्रस्ताव है।
दिल्ली सरकार का विधायकों और मंत्रियों के वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी का फैसला ऐसे समय में आया है, जब लोगों को महंगाई और कोविड से प्रेरित प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
आप सरकार के फैसले के बारे में लोगों की राय जानने के लिए सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने आईएएनएस की ओर से देशव्यापी सर्वे किया।
सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने आईएएनएस की ओर से देशव्यापी सर्वे किया
सर्वेक्षण के दौरान, अधिकतर उत्तरदाताओं (people involved in the survey) ने दिल्ली के विधायकों और मंत्रियों के वेतन में 65 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के केजरीवाल सरकार के फैसले को सही नहीं मानते हुए इसे अस्वीकार कर दिया। ऐसे लोगों की संख्या 82 प्रतिशत थी।
सर्वेक्षण के दौरान, एनडीए और विपक्षी दोनों मतदाताओं के भारी बहुमत ने दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ बात की। सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, 82 फीसदी एनडीए वोटर और 81 फीसदी विपक्षी समर्थक दिल्ली सरकार के फैसले से सहमत नहीं दिखाई दिए।
इसी तरह, सर्वेक्षण के दौरान, शहरी और ग्रामीण दोनों प्रकार के मतदाताओं में से अधिकांश ने आप सरकार के फैसले से असहमति जताई।
सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक 80 फीसदी शहरी और 82 फीसदी Rural voters ने दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए।
विभिन्न आयु समूहों के उत्तरदाताओं ने समान प्रतिक्रिया जाहिर की। सर्वेक्षण के दौरान, 18-24 वर्ष की आयु के 84 प्रतिशत युवा उत्तरदाताओं,
45-44 वर्ष के आयु वर्ग के 95 प्रतिशत और 55 वर्ष से अधिक आयु के 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) के फैसले से सहमत नहीं हैं।