रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी (Justice Gautam Kumar Choudhary) की कोर्ट ने मंगलवार को रेंगूनी मौजा धनबाद के 85 एकड़ जमीन पर रैयतों (पाल ब्रदर्स) के दावे को सही ठहराया।
कोर्ट ने मेसर्स सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (Sahara India Commercial Corporation Limited) के सहारा सिटी को उक्त जमीन पर बनवाने को गलत ठहराया।
कोर्ट ने झारखंड सरकार को भी यह कहते हुए फटकार लगायी कि उक्त जमीन सरकारी नहीं है। सरकार द्वारा 11 एकड़ जमीन जो अशरफी अस्पताल (Ashrafi Hospital) को बिना अधिग्रहण के हस्तांतरित किया गया है, उसे भी कोर्ट ने अवैध ठहराया।
धनबाद के उपायुक्त के खिलाफ धारा 340 IPC के तहत मामले को सही पाया गया। सरकार ने उक्त जमीन पर अपना दावा किया था।
सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में टाइटल सूट दाखिल किया
धनबाद के DC ने हाई कोर्ट (High Court) में शपथ पत्र दायर किया था, जिसमें उनके द्वारा कहा गया था कि उक्त जमीन गैर आबाद खाता की है। इसलिए यह सरकारी जमीन है।
पाल ब्रदर्स ने रेंगुनी मौजा, धनबाद की उक्त 85 एकड़ जमीन को कोर्ट के द्वारा मोरगेज सूट (नीलामी के द्वारा) से वर्ष 1925 से 1938 के बीच खरीदा था।
मोरगेज सूट में हारे हुए दत्ता ब्रदर्स ने उक्त जमीन को सहारा इंडिया और अन्य लोगों को वर्ष 2004 में अवैध रूप से बेच दिया था। इसके खिलाफ पाल ब्रदर्स ने वर्ष 2006 में धनबाद के सिविल जज सीनियर डिवीजन (Civil Judge Senior Division) की कोर्ट में टाइटल सूट दाखिल किया था।
उल्लेखनीय है कि 15 दिसंबर, 2011 को सिविल कोर्ट, धनबाद ने पाल ब्रदर्स के दावे को सही ठहराते हुए अपना आदेश दिया, जिसके खिलाफ सहारा इंडिया ने झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में फर्स्ट अपील दायर की, जिसमें हाई कोर्ट ने पाल ब्रदर्स के टाइटल को सही ठहराया है।