नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के सचिव को निर्देश दिया कि वो पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करें।
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा (Chief Justice Satish Chandra Sharma) की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से एक पेज का हलफनामा दाखिल करने पर नाराजगी जताते हुए ये आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान 26 अप्रैल को याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा था कि प्रधानमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्री संवैधानिक पदों पर हैं और उन्हें इस फंड को निजी तौर पर चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
दीवान ने कहा था कि सवाल ये है कि क्या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति संविधान से इतर एक समूह का निर्माण कर कार्य कर सकते हैं।
पीएम केयर्स फंड में आने वाला धन भारत सरकार के समेकित खाते में नहीं आता
ये फंड देश के प्रधानमंत्री से काफी निकटता से जुड़ा हुआ है। इस ट्रस्ट के बोर्ड में रक्षा मंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री (Defense Minister, Home Minister and Finance Minister) पदेन सदस्य हैं।
उन्होंने कहा था कि जैसे ही पदेन शब्द सामने आता है, इसका मतलब है कि जो भी उस पद पर बैठेगा वो बोर्ड में शामिल होगा। तब कोर्ट ने दीवान से पूछा था कि आपके कहने का ये मतलब है कि ट्रस्ट का गठन नहीं किया जा सकता है।
तब दीवान ने कहा था कि ट्रस्ट का गठन किया जा सकता है लेकिन अगर ये सरकार है तो उसे सभी संवैधानिक दायित्व पूरे करने होंगे।
आप संविधान के बाहर जाकर निजी कंपनी की तरह काम नहीं कर सकते हैं। पारदर्शिता बनाये रखने के लिए मिले धन का सारा विवरण वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है
सुनवाई के दौरान 11 अक्टूबर, 2021 को केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) में आने वाला धन भारत सरकार के समेकित खाते में नहीं आता है।
वकील श्याम दीवान ने सार्वजनिक और स्थायी फंड में अस्पष्टता पर चिंता जाहिर की
इसलिए ये कोई सरकारी फंड नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा था कि कोष में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने 23 सितंबर, 2021 को हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि पीएम केयर्स फंड पर उसका नियंत्रण नहीं है और वो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है।
पीएमओ के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने हलफनामा में कहा है कि वो सूचना के अधिकार के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
श्रीवास्तव ने कहा है कि वे ट्रस्ट में एक मानद पद पर हैं और इसके काम में पारदर्शिता है। हलफनामा में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का आडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है तो सीएजी के पैनल का है। पीएम केयर्स फंड की आडिट रिपोर्ट इसकी वेबसाइट पर अपलोड की जाती है।
कोर्ट ने 17 अगस्त, 2021 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सम्यक गंगवाल की ओर से दायर याचिका पर वकील श्याम दीवान ने सार्वजनिक और स्थायी फंड में अस्पष्टता पर चिंता जाहिर की।
उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पीएम केयर्स फंड के दुरुपयोग के आरोप नहीं लगा रहा है लेकिन भविष्य में भ्रष्टाचार या दुरुपयोग के आरोपों से बचने के लिए ये स्पष्टता जरूरी है।
दीवान ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम से चलता है, जो संविधान में निहित सिद्धांतों से बच नहीं सकता है और न ही वह संविधान के बाहर कोई करार कर सकता है।