रांची: राज्य के कृषि, पशुपालन मंत्री बादल पत्रलेख और गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला-2022 (Shravani Mela-2022) का उद्घाटन किया।
इस दौरान झारखंड सीमा पर अवस्थित दुम्मा कांवरिया पथ पर श्रावणी मेला का विधि-विधान पूर्वक शुभारंभ कराने के लिए 11 वैदिक पुरोहितों द्वारा बाबा बैद्यनाथ (Baba Baidyanath) की पूजा की गयी। पूजा समाप्ति के बाद अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर मेला के उद्घाटन कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मौके पर बादल पत्रलेख ने कहा कि मुख्यमंत्री की अगुवाई में हम सभी मिलकर बाबा के भक्तों का स्वागत करेंगे। राज्य सरकार और जिला प्रशासन के साथ-साथ हम सभी के लिए यह अवसर है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझें।
उन्होंने कहा कि सभी की भागीदारी के बिना इतना बड़ा आयोजन कतई सफल नहीं हो सकता है। सरकार आपके साथ है। सब कदम से कदम मिलाकर चलें और अपने पुनीत कर्तव्य का पालन करें।
श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिले, इसकी कामना हम सब करें
देवघर अपने भव्य स्वरूप के साथ बाबाधाम आने वाले सभी कांवरियों के अभिनंदन के लिए तैयार है। साथ ही विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला को और भी कैसे बेहतर बनाया जाए, इस पर राज्य सरकार कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण दो वर्ष के बाद मेले का आयोजन हो रहा है। ऐसे में दोगुना श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
ऐसे में मेले का सफल आयोजन करें, ताकि यहां आने वाले देवतुल्य श्रद्धालुओं को एक अच्छी अनुभूति मिले। गुरुवार से सावन शुरू हो रहा है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. निशिकांत दूबे (Dr. Nishikant Dubey) ने सभी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राजकीय श्रावणी मेला का अपना विशिष्ट महत्व रहा है। लाखों श्रद्धालु इस मेले में आएंगे। ऐसे में बाबाधाम आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिले, इसकी कामना हम सब करें।
विशिष्ट जनों से आग्रह है कि वे इस दिशा में सहयोग करें
कार्यक्रम में DDC डॉ. कुमार ताराचन्द ने मंत्री सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया। मेला में जिला प्रशासन की ओर से उपलब्ध करायी गयी प्रशासनिक और नागरिक सुविधाओं से संबंधित व्यवस्थाओं की जानकारी दी।
SC मंजूनाथ भजंत्री ने जानकारी दी कि 2015 के बाद राज्य सरकार के निर्देशानुसार राजकीय श्रावणी मेला (State Shravani Mela) के दौरान वीआईपी, वीवीआईपी एवं आउट ऑफ टर्न दर्शन पूर्णरूप से बंद रहेगा।
इसे देखते हुए सभी विशिष्ट जनों से आग्रह है कि वे इस दिशा में सहयोग करें, ताकि बाबाधाम आने वाले देवतुल्य श्रद्धालुओं को जलार्पण में किसी प्रकार की कठिनाई न हो।