नई दिल्ली: अगर आपके भी पैसे ‘सहारा इंडिया’ (Sahara India) में पैसे फंसे हुए हैं और आप इस बात को लेकर परेशान हैं, तो आपके लिए एक राहत भरी खबर है। दरअसल, सहारा इंडिया के रिफंड को लेकर केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है।
सरकार की तरफ से इस दिशा में कई बड़ी कार्रवाई भी की गई है। मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने सहारा ग्रुप (Sahara Group) की दो कंपनियों, इसके संस्थापक व संचालक सुब्रत रॉय और तीन अन्य लोगों पर 12 करोड़ रुपये का भारी भरकम जुर्माना भी लगाया है।
इससे पहले सरकार की तरफ से जानकारी दी गई थी कि सहारा इंडिया के निवेशको को पैसा कब वापस मिलेंगे।
अब भी निवेशकों के करोड़ों रुपये फंसे हैं
केंद्र सरकार (Central government) ने सहारा इंडिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अब तक सेबी (SEBI) सहारा के निवेशकों को इंटरेस्ट समेत कुल 138.07 करोड़ रुपये ही वापस कर पाया है।
सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) ने 232.85 लाख निवेशकों से 19400.87 करोड़ रुपये और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 75.14 लाख निवेशकों से 6380.50 करोड़ रुपये एकत्रित किए हैं। यानी अब भी निवेशकों के करोड़ों रुपये फंसे हैं।
सेबी ने 138.07 करोड़ रुपये की कुल राशि को रिफंड किया है
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 31 अगस्त 2012 को आदेश दिया था, जिसके बाद सहारा इंडिया ने निवेशकों से जमा की गई 25,781.37 करोड़ की मूल राशि के बदले 31 दिसंबर, 2021 तक ‘सेबी-सहारा रिफंड’ खाते में 15,503.69 करोड़ रुपये जमा किए हैं।
वित्त राज्यमंत्री की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, सेबी को 81.70 करोड़ रुपये की कुल मूल राशि के लिए 53,642 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट / पास बुक से जुड़े 19,644 आवेदन मिले हैं।
इनमें से सेबी ने 138.07 करोड़ रुपये की कुल राशि 48,326 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट/पासबुक वाले 17,526 एलिजिबल बॉन्ड होल्डर्स को रिफंड किया है।
सरकार ने पैसा वापस करने का आदेश जारी किया
सहारा इंडिया के निवेशकों को उनका पैसा कब वापस मिलेगा, इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा कि सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Security and Exchange Board of India) ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड नाम की दो विशेष सहारा कंपनियों से संबंधित आदेश जारी किए हैं।
इसके अलावा सरकार ने कहा है कि बाकी आवेदन या तो SIRECL और SHICL की तरफ से दिए गए दस्तावेजों और डाटा में उनका रिकॉर्ड ट्रेस नहीं हो पा रहा, जिसके बाद सेबी से पूछे गए सवालों का बांडहोल्डर्स (bondholders) की तरफ से कोई रिप्लाई न आने के चलते बंद कर दिए गए।