रांची : झारखंड के पांच जिलों में राज्य सरकार (State government) द्वारा शुक्रवार, 15 जुलाई से 31 जुलाई तक संदिग्ध कुपोषण एवं एनीमिया वाले बच्चों एवं महिलाओं की जांच के लिए विशेष समर अभियान की शुरुआत की गई है।
झारखंड राज्य पोषण मिशन के महानिदेशक राजेश्वरी बी ने इस संबंध में उपायुक्तों को पत्र लिखकर पंचायत एवं प्रखंड वार एक्शन प्लान बनाकर अभियान प्रारंभ करने का निर्देश दिया है।
19,851 कुपोषण एवं एनीमिया के संदिग्ध मामलों की जांच की जाएगी
राजेश्वरी बी (Rajeshwari B) ने बताया कि लातेहार, चतरा, पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा एवं साहिबगंज में चलने वाले इस अभियान के तहत लगभग 19,851 कुपोषण एवं एनीमिया के संदिग्ध मामलों की जांच की जाएगी। इनके उपचार के लिए भी कार्य किए जाएंगे। नवनिर्वाचित मुखिया से इस विशेष अभियान को सफल बनाने के लिए अपेक्षित सहयोग लिया जायेगा।
संदिग्ध मामलों में कुपोषण एवं एनीमिया की जांच सुनिश्चित की जाएगी
राजेश्वरी बी ने कहा है कि कुपोषण व एनीमिया के सभी मामले की सूची आंगनवाड़ी केंद्र पर होने वाली जांच पर उपलब्ध है, जिसे कुपोषण एवं एनीमिया के जांच के दौरान भरा जाएगा।
आंगनवाड़ी सेविका (Anganwadi worker) यह सुनिश्चित करेंगी कि पोषण ट्रैकर में पूर्व से चिन्हित अति गंभीर कुपोषित बच्चे की सूचना में संकलित कर ली जाए।
साथ ही आंगनबाड़ी द्वारा गांव स्तर पर प्रत्येक दिन कैंप लगाकर एएनएम की उपस्थिति में सभी संदिग्ध मामलों में कुपोषण (वजन, लंबाई, ऊंचाई, चिकित्सकीय जांच, भूख की जांच) एवं एनीमिया की जांच सुनिश्चित की जाएगी।
ANM के पास उपलब्ध होंगी सभी नौ दवाइयां उपलब्ध
राजेश्वरी बी ने कहा है कि जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि आंगनबाड़ी केंद्र के सभी उपकरण शत-प्रतिशत कार्यरत हों।
साथ ही सिविल सर्जन (Civil Surgeon) यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी एएनएम जिन्हें इस कार्यक्रम से जोड़ा गया हो, उनके पास सभी नौ दवाइयां उपलब्ध हों।
डिजिटल हीमोग्लोबीनो मीटर (Digital Hemoglobin Meter) उपलब्ध हो, दवाई किस प्रकार दी जानी है उसमें प्रशिक्षित हो। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रतिदिन की प्रगति प्रतिवेदन समर डैश बोर्ड पर संकलित होगा और प्रत्येक सप्ताह उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर वस्तु स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
किसी भी प्रकार की जानकारी में समस्या उत्पन्न होते पर राज्य पोषण मिशन से संपर्क स्थापित किया जाएगा तथा विशेष अभियान के उपरांत एक स्टडी रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे सभी विभागों के साथ साझा किया जाएगा।
इसके साथ ही इस अभियान के तहत 6 माह से 5 वर्ष तक के अति गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों, जिनमें कोई चिकित्सीय बीमारी नहीं है एवं वह बच्चा भूख की जांच में पास है, का उपचार कम से कम चार माह तक समुदाय आधारित प्रबंधन आगनबाड़ी केन्द्र (Anganwadi Center) में 11 चरण को अपनाते हुए करने की बात कही गई है।
-चरण एक : सामुदायिक गतिशीलता
-चरण दो : संदिग्ध मामलों का स्क्रीनिंग व शारीरिक नाप
-चरण तीन : अति गंभीर कुपोषित बच्चों का चिकित्सकीय आंकलन
-चरण चार : अति गंभीर कुपोषित बच्चों का भूख की जांच करना
-चरण पांच : एसटीसी में रखना चाहिए या एमटीसी को रेफर करना चाहिए
–चरण छह : पोषणात्मक उपचार
-चरण सात :सैम किट (दवाइयां)
-चरण आठ : पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा
-चरण नौ : बच्चों का फॉलोअप
-चरण -दस : डिस्चार्ज देने के मापदण्ड
-चरण 11 : डिस्चार्ज पाने के बाद फालोअप