रांची: राज्य के संस्कृत विद्यालयों और मदरसा (School-Madrasas) के 536 शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए खुशखबरी की खबर आई है। इन शिक्षकों को दोगुना अनुदान मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रस्ताव पर शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो (Education Minister Jagannath Mahto) ने अपनी मंजूरी दे दी है। प्रस्ताव को अब अगले सप्ताह वित्त विभाग को भेजा जाएगा।
वित्त व Cabinet की मंजूरी के बाद 33 संस्कृत विद्यालयों और 43 मदरसा के शिक्षकों व कर्मचारियों को यह अनुदान इसी वित्तीय वर्ष 2022-23 से ही भुगतान हो सकेगा।
33 संस्कृत विद्यालयों में 250 व 43 मदरसों में 286 शिक्षक-कर्मी हैं कार्यरत
राज्य के 33 संस्कृत विद्यालयों में 250 और 43 मदरसों में 286 शिक्षक व कर्मचारी कार्यरत हैं। वित्तरहित हाई स्कूल और इंटर कॉलेजों को पूर्व से ही दोगुना अनुदान मिल रहा है, लेकिन स्लैब नहीं होने के कारण 2015 संस्कृत विद्यालय व मदरसा को सिंगल अनुदान दिया जा रहा था।
दोगुना अनुदान हो जाने से राज्य के प्राथमिक सह मध्य संस्कृत विद्यालयों और वस्तानिया (8th) तक पढ़ाई होने वाले मदरसा को 1.80 लाख रुपये की जगह 3.20 लाख रुपये दिये जाएंगे, वहीं प्राथमिक सह उच्च संस्कृत विद्यालय और फोकानिया (10th) तक की पढ़ाई होने वाले मदरसा को 3.60 लाख रुपये की जगह 7.20 लाख रुपये दिये जाएंगे, वहीं अगर स्कूलों में 500 से 1000 छात्र-छात्राओं का Enrollment होगा तो उसे 9.60 लाख का अनुदान और अगर 1000 से ज्यादा नामांकन हुआ तो 14.40 लाख रुपये का अनुदान मिलेगा।
Jharkhand विधानसभा में भी उठा था यह मामला
संस्कृत विद्यालयों और मदरसा को दोगुना अनुदान देने के लिए झारखंड विधानसभा में बजट सत्र में मामला उठा था। कांग्रेस की MLA दीपिका पांडेय सिंह ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से इस मामले को उठाया था।
इसके बाद सरकार ने इस पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया था। शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया और उसे शिक्षा मंत्री के पास मंजूरी के लिए भेजा था। मंत्री की मंजूरी मिलने के बाद अब इसका पहला चरण पूरा हो गया है।
शिक्षक संघ ने राज्य सरकार का आभार जताया
Jharkhand राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, मनीष कुमार व अरविंद सिंह ने संयुक्त रूप से शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार आभार जताया है।
उन्होंने कहा कि वित्त रहित High School-Inter College के शिक्षको को दोगुना अनुदान मिल रहा था, लेकिन अब संस्कृत विद्यालय व मदरसा के शिक्षकों को भी मिल सकेगा। पूर्व में कम अनुदान मिलने से वे भुखमरी स्थिति में पहुंच गए थे।