नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने बेनामी संपत्ति (Benami Property) के लिए 3 साल की सजा का कानून निरस्त कर दिया है। तीन साल की सजा का प्रावधान बेनामी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिशन) Act की धारा 3(2) में था।
चीफ जस्टिस एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा कि संपत्ति जब्त करने का अधिकार पिछली तारीख से लागू नहीं होगा। यानी पुराने मामलों में इस कानून के तहत कार्रवाई नहीं होगी।
कानून के तहत सरकार को संपत्ति जब्त करने का मिला अधिकार
केंद्र सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट (HC) के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (SC) में याचिका दायर की थी। HC ने कहा था कि बेनामी ट्रांजैक्शन कानून (Benami Transaction Law) में संशोधन पिछली तारीख से लागू नहीं होगा।
इस कानून के तहत सरकार को संपत्ति जब्त करने का मिला अधिकार पिछली तारीख से लागू नहीं हो सकता है। इसका मतलब है कि पुराने मामलों में इस कानून के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती है।
बेनामी संपत्ति (Benami Property) का मतलब है कि वैसी संपत्ति जिसकी कीमत किसी और ने चुकाई और नाम किसी दूसरे व्यक्ति का हो। ये संपत्ति पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर भी खरीदी गई हो सकती है। ऐसा काला धन छुपाने के लिए किया जाता है।