नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून ( Population Control Law ) की मांग करने वाली स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
Court ने याचिका को मामले पर लंबित दूसरी याचिकाओं के साथ टैग कर दिया है। सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि बढ़ती आबादी के चलते लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं।
इसके पहले धर्मगुरु देवकीनंदन ठाकुर और BJP नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय भी SC में याचिका दायर कर चुके हैं। कोर्ट इन दोनों की याचिका पर नोटिस जारी कर चुकी है।
याचिका में कहा गया है कि लोगों को साफ हवा, पानी, खाना,स्वास्थ्य और रोजगार हासिल करने का अधिकार सुनिश्चित करने के इसके पहले लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) वक्त की जरूरत है।
लॉ कमीशन (Law Commission) दूसरे विकसित देशों में जनसंख्या नियंत्रण की नीतियों को देखने के बाद भारत के लिए सुझाव दे।
केंद्र ने कहा कि देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम स्वैच्छिक है
फरवरी 2021 में केंद्र ने कहा था कि परिवार नियोजन के लिए लोगों को मजबूर नहीं कर सकते हैं क्योंकि इससे जनसंख्या के संदर्भ में विकृति उत्पन्न हो जाएगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने SC में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि वह देश के लोगों पर जबरन परिवार नियोजन थोपने के खिलाफ है।
केंद्र ने कहा कि देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम स्वैच्छिक है। निश्चित संख्या में बच्चों को जन्म देने की किसी भी तरह की बाध्यता हानिकारक होगी।
इससे पहले अश्विनी उपाध्याय की दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) खारिज कर चुका है। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को SC में चुनौती दी है।
याचिका में कहा गया है कि देश में बढ़ रहे अपराध और नौकरियों की कमी के साथ-साथ संसाधनों पर बोझ बढ़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह बढ़ती जनसंख्या है।
याचिका में जस्टिस वेंकटचलैया की अध्यक्षता में गठित नेशनल कमीशन टू रिव्यू द वर्किंग ऑफ द कांस्टीट्यूशन में अनुशंसा किए गए उपायों को लागू करने की मांग की गई है।
यह देश की आधी समस्याओं को खत्म कर देगा
याचिका में कहा गया है कि संविधान में अब तक 125 बार बदलाव किए जा चुके हैं। सैकड़ों नए कानून बनाए जा चुके हैं लेकिन जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून नहीं बनाए गए हैं।
अगर जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) बनाया जाता है यह देश की आधी समस्याओं को खत्म कर देगा।
याचिका में कहा गया है कि दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को वोट देने का अधिकार, संपत्ति पर अधिकार और कई दूसरे अधिकारों से वंचित करने का प्रावधान बनाने का दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि भारत की आबादी चीन की आबादी से भी ज्यादा हो गई है। देश की आबादी की 20 फीसदी लोगों के पास आधार नहीं है ।
देश में करोड़ों रोहिंग्या और बांग्लादेशी लोग रह रहे हैं। बिना जनसंख्या नियंत्रण के स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ अभियान सफल नहीं हो सकता ।