नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने खाद्य तेल आयात पर रियायती सीमा शुल्क को मार्च, 2023 तक यानी छह महीने के लिए बढ़ा दिया है।
मंत्रालय के इस कदम का उद्देश्य खाद्य तेलों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना और कीमतों को नियंत्रण में रखना है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने गुरुवार को जारी अधिसूचना में यह जानकारी दी। CBIC ने कहा कि निर्दिष्ट खाद्य तेलों पर मौजूदा रियायती आयात शुल्क की समय-सीमा को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाया जाएगा।
इससे पहले मार्च में ये छूट सितंबर, 2022 तक बढ़ा दिया गया था।
कच्चा पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल किस्मों पर आयात शुल्क शून्य है
दरअसल, खाद्य तेलों के आयात पर सीमा शुल्क और सेस अगले छह महीने और नहीं लगाने के फैसले से घरेलू बाजार (Domestic Market) में तेलों की कीमतों को काबू में रखने में मदद मिलेगी।
फिलहाल कच्चा पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल किस्मों पर आयात शुल्क शून्य है। हालांकि, पांच फीसदी के कृषि उपकर और 10 फीसदी के सामाजिक कल्याण उपकर को ध्यान में रखते हुए इन तीन खाद्य तेलों की कच्ची किस्मों पर प्रभावी शुल्क 5.5 फीसदी है।
दरअसल पामोलिन और पाम तेल की रिफाइंड किस्मों पर मूल सीमा शुल्क 12.5 फीसदी है, जबकि सामाजिक कल्याण उपकर 10 फीसदी है। इस तरह अंततः प्रभावी शुल्क 13.75 फीसदी बनता है।
रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी (Refined Soybeans-Sunflowers) के तेल पर मूल सीमा शुल्क 17.5 फीसदी है जबकि 10 फीसदी सामाजिक कल्याण उपकर को ध्यान में रखते हुए प्रभावी शुल्क 19.25 फीसदी बैठता है।