रांची/नई दिल्ली: झारखंड के राजनीतिक इतिहास में सोमवार का दिन कुछ खास होगा। दिलचस्प सियासत (Interesting politics) देखने को मिलेगी।
असमंजस भरे राजनीतिक हालात में मुख्यमंत्री Hemant Soren ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। इसमें वे विश्वास मत हासिल करेंगे। साथ ही कुछ लोकलुभावनी घोषणाएं भी कर सकते हैं।
यह झारखंड के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि कोई पूर्ण बहुमत की गठबंधन सरकार बिना किसी अविश्वास प्रस्ताव के विश्वास मत हासिल करेगी।
यह उनकी कोई संवैधानिक बाध्यता या विवशता नहीं है। वे सरकार में बने रहने का दावा मजबूत करने के लिए पूर्ण बहुमत में होते हुए भी विश्वास प्रस्ताव का सहारा ले रहे हैं। इसे राजनीतिक माइलेज लेने की कोशिश या शक्ति प्रदर्शन (Power performance) कहा जा सकता है।
फिलहाल, मुख्यमंत्री के लाभ के पद के मामले में अभी औपचारिक घोषणा होना बाकी है। निर्वाचन आयोग और राज्यपाल के बीच हुए पत्राचार का खुलासा नहीं हुआ है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) की कुर्सी बचेगी या जाएगी, इस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
हालांकि, यूपीए विधायकों के साथ हुई मुलाकात में राज्यपाल ने कहा था कि कुछ बिन्दुओं पर विधिक राय ली जा रही है। शीघ्र ही स्थिति साफ होगी। इसके बाद वे दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
32 विधायक छत्तीसगढ़ के रायपुर से आज विशेष विमान से रांची पहुंच गए
हेमंत सोरेन ने पूर्व में जैसा कहा था वैसा ही एक के बाद एक चाल चल रहे हैं। वे सत्ता में बने रहने के लिए एक मजे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह हर दांव आजमा रहे हैं।
वे कोई चूक नहीं करना चाहते। वे एक साथ दो धरातल पर काम कर रहे हैं। एक ओर UPA के विधायकों को टूट से बचाने और एकजुट रखने की कोशिश में दिन-रात मुस्तैदी से जुटे हैं तो दूसरी ओर संवैधानिक पहलुओं को ध्यान में रखकर लीक से हटकर फैसले कर रहे हैं। इस कड़ी में विशेष सत्र और विश्वासमत हेमंत सोरेन का मास्टर स्ट्रोक भी माना जा रहा है।
विधानसभा के विशेष सत्र और विश्वास प्रस्ताव के लिए यूपीए के 32 विधायक छत्तीसगढ़ के रायपुर से आज विशेष विमान से रांची पहुंच गए हैं। सभी विधायकों को मोराबादी के सरकारी अतिथि गृह में ठहराया गया है।
इससे पूर्व हार्स ट्रेडिंग के डर से सभी विधायकों को पहले तो Jharkhand में ही एक साथ रखा गया। बाद में उन्हें विशेष विमान से रायपुर भेज दिया गया।
इस दौरान मुख्यमंत्री खुद विधायकों के लगातार संपर्क में बने रहे। इस दौरान उनके खास और विश्वासपात्र मंत्री भी उनसे कदमताल मिलाकर चलते रहे।
संवैधानिक प्रावधानों की बात करें तो सरकार को एक बार विश्वास मत हासिल करने के बाद छह माह तक दोबारा विश्वास मत हासिल करने की जरूरत नहीं होगी।
अगर राज्यपाल के आदेश के बाद मुख्यमंत्री की विधानसभा से सदस्यता जाती है तो भी वे स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने को दावा पेश कर सकते हैं। राजनीतिक तौर पर यह भी कह सकते हैं कि यूपीए के पास बहुमत है। केवल नेता बदले गए हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विश्वास प्रस्ताव पर सवाल खड़े किए
उधर, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी भी विधानसभा के विशेष सत्र के मद्देनजर कमर कस कर तैयार है। इस सत्र को लेकर भाजपा ने भी पूरी तैयारी की है।
इसकी रणनीति तैयार करने के लिए रविवार को भाजपा विधायक दल की बैठक भी हुई। बैठक में मुख्य रूप से भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और संगठन महामंत्री करमवीर सिंह शामिल रहे।
बैठक के बाद Media के सामने पार्टी नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विश्वास प्रस्ताव पर सवाल खड़े किए। इसे गैर जरूरी और जनता की धन का दुरुपयोग बताया।