रांची: करम पूजा महोत्सव (Karam Puja Festival) को लेकर केंद्रीय सरना समिति (Central Sarna Committee) की ओर से सोमवार को कई दिशा-निर्देश जारी किए गए।
केंद्रीय सरना समिति (Central Sarna Committee) के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कचहरी परिसर स्थित कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि करम त्योहार आदिवासी संस्कृति का अद्भुत संगम है।
करम त्योहार प्रत्येक वर्ष शुक्ल पक्ष भादो एकादशी के दिन मनाया जाता है। करम डाल की पूजा कर आदिवासी पूरे प्रकृति का आभार प्रकट कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं।
अखरा में ढोल मांदर के साथ नृत्य संगीत करने और आधुनिक DJ गाना नहीं बजाना शामिल है
करम त्योहार को शांतिपूर्ण एवं धूमधाम से मनाने को लेकर समिति की ओर से कई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
इनमें प्रमुख रूप से गांव मौजा के लोगों को अखरा की साफ-सफाई करने, करम डाल काटते समय पूरे विधि-विधान का पालन करने, अखरे में जुता चप्पल पहनकर प्रवेश ना करने, नशा का सेवन कर अखरा में प्रवेश ना करने, कथावाचक से करम पूजा की पूरी कहानी सुनने, महिलाओं को लाल पाढ़ साड़ी एवं पुरुष को धोती, गंजी और पगड़ी पहनने, पूजा से पहले जावा फुल का प्रयोग ना करने, अखरा में ढोल मांदर के साथ नृत्य संगीत करने और आधुनिक DJ गाना नहीं बजाना शामिल है।
मौके पर अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद (All India Council for Tribal Development) के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा, केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की, महिला शाखा अध्यक्ष नीरा टोपो एवं अन्य उपस्थित थे।