नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (SC) ने सोमवार को कहा कि केंद्र और राज्य (Center and state) सरकारों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे निजी अस्पतालों को सुरक्षा मुहैया कराएं तथा उन्हें अपनी सुरक्षा की व्यवस्था खुद करनी होगी।
शीर्ष अदालत (Supreme Court) एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अधिकारियों को अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था ताकि Dr. तथा स्वास्थ्यकर्मियों पर मरीजों के रिश्तेदारों और अन्य लोगों के हमलों को रोका जा सके।
न्यायमूर्ति S K कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा कि निजी अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों को अपनी सुरक्षा की व्यवस्था खुद करनी चाहिए तथा जहां तक सरकारी अस्पतालों का संबंध है, सुरक्षा की व्यवस्था संबंधित अस्पतालों (Hospitals) द्वारा की जाती है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में अस्पताल, नर्सिंग होम और चिकित्सा संस्थान निजी हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से पूछा, ‘आप चाहते हैं कि सरकार प्रत्येक अस्पताल को सुरक्षा प्रदान करे?’
इसने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की असम राज्य शाखा के अध्यक्ष Dr. सत्यजीत बोरा (Dr. Satyajit Bora) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘निजी संस्थानों को अपनी सुरक्षा की व्यवस्था खुद करनी चाहिए। आप सरकार पर बोझ नहीं डाल सकते।’
पीठ ने कहा, ‘‘जरूरत होने पर, अदालत के समक्ष सूचीबद्ध करें
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा कि वे याचिका में उचित संशोधन करेंगे और संबंधित दस्तावेज जमा करेंगे।
पीठ ने कहा, ‘हम याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि इसमें विवरण का अभाव है। न ही हम सभी तरह के आग्रह को सुनने के इच्छुक हैं क्योंकि निजी अस्पतालों (Private Hospitals) को अपनी सुरक्षा की व्यवस्था खुद करनी होगी तथा हम राज्य सरकार या केंद्र सरकार (State Government or Central Government) से निजी अस्पतालों के लिए सुरक्षा प्रदान करने की उम्मीद नहीं कर सकते जो कि व्यावसायिक उद्यम हैं।’
वकील के यह कहने के बाद कि वे याचिका में संशोधन करेंगे, पीठ ने कहा, ‘‘जरूरत होने पर, अदालत के समक्ष सूचीबद्ध करें।’’