रांची: झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था की निदेशक राजेश्वरी बी (Rajeshwari B) ने कहा कि देश एवं राज्य स्तर पर बच्चों की समस्याओं (Children’s Problems) का आकलन पंचायत स्तर पर करना आवश्यक है।
बच्चों के लिए कई नीतियों (Policies) का निर्धारण किया गया है। उन्हीं नीतियों को धरातल पर उतारने के लिए समाज के हर बच्चे को विशेषकर, जरूरतमंद बच्चे को उनके अधिकार के प्रति जागरूक (Aware) करना ही हमारा कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि कार्यशाला (Workshop) का उद्देश्य है कि बाल संरक्षण एवं बाल अधिकार से जुड़े मुद्दों पर हम समाज को जागरूक कर सकें और बच्चों के प्रति दायित्वों का निर्वहन नीतिगत सिद्धांतों के मुताबिक कर सकें।
राजेश्वरी बी गुरूवार को राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, हेहल में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थी।
राजेश्वरी बी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय (SC) द्वारा निर्देशित सड़कों पर रहने वाले घुमंतू बच्चों के लिए विशेष कार्य करने की जरूरत है, ताकि वह आम बच्चों की तरह समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
मुक्त कराये गए 126 बच्चों की उम्र 10 वर्ष से भी कम है
अपने अधिकारों एवं हक को सुनिश्चित कर सकें। राजेश्वरी बी ने कहा कि जो बच्चे संस्थान में रह रहे हैं और जिनकी आयु 18 साल से ऊपर हो गई है, उन्हें कौशल विकास कार्यक्रम (Skill Development Program) से जोड़ना प्राथमिकता होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि झारखंड में करीब 2000 बच्चे संस्थान में रह रहे हैं। यूनिसेफ (UNICEF) की झारखंड प्रमुख डॉक्टर कनिका मित्रा ने कहा कि झारखंड में बाल तस्करी (Child Trafficking) एक गंभीर समस्या है।
2019 से लेकर अब तक करीब 996 बच्चों को तस्करों से मुक्त कराया गया है। मुक्त कराए गए बच्चों में 410 बच्चों की उम्र 15 से 18 वर्ष के बीच है। 359 ऐसे बच्चे हैं जिनकी उम्र 11 से 14 वर्ष है।
इसके अलावा मुक्त (Rescue) कराये गए 126 बच्चों की उम्र 10 वर्ष से भी कम है। उन्होंने कहा कि बच्चों की समस्या का आकलन पंचायत स्तर (Panchayat Level) पर किया जाए।
कार्यशाला में मुख्य रूप से यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव, वर्ल्ड विजन से रेखा खलखो, बचपन बचाओ आंदोलन के श्याम मलिक, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, अनिल यादव सहायक निदेशक सर्ड, रांची के प्रतिनिधि एवं CINI की तन्वी झा उपस्थित थीं।