नई दिल्ली: घरेलू अर्थव्यवस्था (Domestic Economy) को रफ्तार देने और विकसित देशों में मंदी की आशंका के बीच वित्त मंत्रालय वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सालाना बजट तैयार करने का काम 10 अक्टूबर से शुरू करेगा।
अगले वित्त वर्ष के बजट में उच्च मुद्रास्फीति, मांग को गति देने, रोजगार सृजन तथा आठ % से अधिक की वृद्धि को बनाए रखने के महत्वपूर्ण मुद्दों पर गौर करने की जरूरत होगी।
इससे पहले दिन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि महंगाई के रिकॉर्ड उच्चस्तर से नीचे आने के साथ यह मुद्दा अब बहुत महत्वपूर्ण नहीं रह गया है और अब सरकार के लिए प्राथमिकता रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि को गति देना है।
बजट सत्र आमतौर पर जनवरी के अंतिम सप्ताह से शुरू होता है
मोदी सरकार (Modi Government ) के दूसरे कार्यकाल और सीतारमण का यह पांचवां बजट होगा। साथ ही 2024 के अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव से पहले अंतिम पूर्ण बजट होगा।
आर्थिक मामलों के विभाग के बजट इकाई के बजट परिपत्र (2023-24) के अनुसार सचिव (व्यय) की अध्यक्षता में बजट पूर्व बैठकें 10 अक्टूबर से शुरू होगी। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट अनुमानों को बजट पूर्व बैठकों के पूरा होने के बाद अस्थायी तौर पर अंतिम रूप दिया जाएगा। संशोधित अनुमान (आरई) को लेकर बैठकें नवंबर, 2022 के मध्य तक जारी रहेगी।
वित्त वर्ष 2023-24 का बजट संसद (Budget Parliament) के बजट सत्र के पहले चरण में एक फरवरी को पेश किया जा सकता है। बजट सत्र आमतौर पर जनवरी के अंतिम सप्ताह से शुरू होता है।