मुंबई: शेयर मार्केट (Share Market) शुक्रवार को भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। यह लगातार तीसरा कारोबारी दिन था जब बाजार Red Zone में चला गया।
इस साल की शुरुआत से ही बाजार की स्थिति बहुत बेहतर नहीं रही है। बसब बेशक जुलाई से मार्केट में तेजी आना शुरू हुई और BSE का सेंसेक्स 60,000 के पार भी पहुंचा, लेकिन उससे पहले ये अपने सर्वोच्च स्तर से 10,000 अंकों तक नीचे खिसक गया था। यही हाल निफ्टी का भी रहा।
पिछले एक महीने में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों 1 फीसदी गिरे हैं
लेकिन निफ्टी मिडकैप 150 और Nifty Smallcap 250 क्रमश: 3 और 6 फीसदी ऊपर गए हैं। जुलाई से सितंबर के बीच जो बाजार में तेजी देखी वह मुख्यत: लार्ज कैप स्टॉक्स के कारण थी।
लार्ज कैप शेयरों का Valuation इस दौरान काफी तेजी से चढ़ा। बाजार जानकार के मुताबिक एक महीने पहले तक लार्ज कैप में केवल 4 फीसदी शेयर ही 200 दिन की मूविंग औसत से नीचे थे।
वहीं, निफ्टी मिडकैप 150 में 50 फीसदी और स्मॉलकैप में 82 फीसदी शेयर 200 दिन की मूविंग औसत से नीचे थे।
लार्जकैप शेयरों में तेजी का कारण अब वे ओवर वैल्यूड लगने लगे हैं
वहीं, दूसरी तरह स्मॉल और मिडकैप शेयरों (Small And Midcap Stocks) में इस दौरान गिरावट देखने को मिली उसने इनके वैल्युएशन को दुरुसकर इन्हें आकर्षक बना दिया है।
इसकारण निवेशकों ने अचानक Large cap से पैसा निकाल कर मिड और स्मॉलकैप में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया।
मिड औक स्मॉलकैप शेयर नजदीकी भविष्य में बेंचमार्क इंडेक्स को आउटपरफॉर्म करते रहने वाले हैं।
बाजार के एक हिस्से का मानना है कि भारत के कैपिटल एक्सपेंडिचर (Expenditure) में दोबारा तेजी आने से देश अच्छी स्थिति में पहुंच गया है।
नतीजतन, बाजार में विदेशी और घरेलू निवेशक पैसा लगाएंगे। कई बड़ी कंपनियां विस्तार कर रही हैं। बैंकों लोन ग्रोथ (Loan growth) को बढ़ाने के लिए पहले से बेहतर स्थिति में है।