नई दिल्ली: डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) में आई मजबूती के कारण दुनिया की दूसरी अन्य मुद्राओं की तरह ही भारतीय मुद्रा रुपये में भी गिरावट का दौर जारी है।
आज एक बार फिर रुपये ने सबसे निचले स्तर पर खुलने, सबसे निचले स्तर तक पहुंचने और फिर सबसे निचले स्तर पर बंद होने का अलग अलग नया रिकॉर्ड बनाया।
भारतीय मुद्रा (Indian Currency) आज पहली बार रिकॉर्ड कमजोरी के साथ डॉलर के मुकाबले 81.09 रुपये के स्तर पर खुली।
दिन के कारोबार के दौरान रिकॉर्ड निचले स्तर 81.23 रुपये तक पहुंची और अंत में 81.10 रुपये के स्तर (Temporary) पर बंद हुई। रुपये की क्लोजिंग का ये अभी तक का सबसे निचला स्तर है।
रुपये में तेज गिरावट
इंटर बैंक फॉरेन सिक्योरिटी एक्सचेंज (Inter Bank Foreign Security Exchange) में भारतीय मुद्रा ने आज 23 पैसे की कमजोरी के साथ 81.09 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से कारोबार की शुरुआत की।
वैश्विक दबाव की वजह से शुरुआती दौर में Dollar की मांग में तेजी का रुख बना, जिसके कारण रुपये में तेज गिरावट का रुझान बनने लगा। थोड़ी देर में ही भारतीय मुद्रा ऐतिहासिक गिरावट के साथ 81.23 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गई।
वैश्विक अर्थव्यवस्था
रुपये की कीमत में आई इस जोरदार गिरावट के बाद मुद्रा बाजार में डॉलर का प्रवाह बढ़ना शुरू हो गया। डॉलर का प्रवाह बढ़ने और उसकी मांग में मामूली कमी आने की वजह से दोपहर 12 बजे तक रुपया निचले स्तर से 38 पैसे की रिकवरी करके 80.85 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया।
इस स्तर पर रुपये में एक बार फिर गिरावट का मामूली रुझान बना लेकिन थोड़ी ही देर बाद Indian Currency दोबारा मजबूत होकर 80.77 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गई।
हालांकि दिन के दूसरे कारोबारी सत्र के दौरान डॉलर की मांग में एक बार फिर तेजी होने लगी, जिसके कारण रुपया दोबारा नीचे लुढ़कने लगा।
दिन के कारोबार के अंत में भारतीय मुद्रा ने 81.10 रुपये प्रति डॉलर के स्तर (Temporary) पर आज के कारोबार का अंत किया।
मुद्रा बाजार के जानकारों का कहना है कि डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में कमी आना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से नुकसानदेह जरूर है।
फिलहाल वैश्विक अर्थव्यवस्था में जिस तरह की मंदी का माहौल बन रहा है और US Federal Reserve द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने की वजह से डॉलर इंडेक्स (index) में जैसी तेजी आई है, उसको देखते हुए अन्य मुद्राओं की तुलना में भारतीय मुद्रा की कमजोरी तुलनात्मक तौर पर कम है।
बाजारों में घबराहट का माहौल
मार्केट एक्सपोर्ट (Market Export) मयंक मोहन के मुताबिक इस साल रुपये में अभी तक डॉलर की तुलना में 8.48 प्रतिशत की गिरावट आई है। लेकिन अगर अन्य एशियाई मुद्राओं की बात की जाए, तो ये गिरावट कम नजर आती है।
इस अवधि में जापान की मुद्रा डॉलर की तुलना में 10.69 प्रतिशत, फिलीपींस (Philippines) की मुद्रा पेसो में डॉलर की तुलना में 12.21 प्रतिशत, थाईलैंड (Thailand) की मुद्रा थाई भाट में 12.89 प्रतिशत और चीन की मुद्रा रेनमिन्बी में डॉलर की तुलना में 13.39 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।
इससे भारतीय मुद्रा की स्थिति अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना में ज्यादा मजबूत नजर आती है। इसके बावजूद इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता है कि रुपये में भी काफी गिरावट आई है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी असर पड़ सकता है।
मयंक मोहन के मुताबिक US Federal Reserve द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के बाद से ही ज्यादातर देशों के बाजारों में घबराहट का माहौल बना हुआ है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अलावा बैंक ऑफ इंग्लैंड और स्विस नेशनल बैंक ने भी महंगाई पर काबू पाने के लिए इसी हफ्ते ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है।
बैंक ऑफ इंग्लैंड लगातार सातवीं बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुका है। इन बैंकों के अलावा कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का तरीका अपनाया है, जिसकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
मयंक मोहन का कहना है कि दुनिया भर में बने घबराहट के माहौल और वैश्विक मंदी की आशंका के कारण ज्यादातर बड़े निवेशक बिकवाली कर अपना पैसा सुरक्षित निकालने की कोशिश में जुट गए हैं, जिसकी वजह से मुद्रा बाजार में डॉलर की मांग में तेजी आ गई है।
Dollar Index 20 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है, जिसकी वजह से दुनिया भर की तमाम मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर कारोबार कर रही हैं।
इसका असर भारतीय मुद्रा रुपये पर भी पड़ा है और ये ऐतिहासिक स्तर तक नीचे जाने का नया Record बना चुका है।