रांची: अभी तो यह अंगड़ाई है, बाकी अभी लड़ाई है। जब राज्य के 50 लाख अनुसूचित समाज के लोग अपने हक और अधिकार के लिए एक जुट हो जाएंगे तो रांची के मोरहाबादी मैदान और होटवार जेल भी राज्य सरकार के लोए छोटा पड़ जाएगा।
उक्त बातें चंदनकियारी विधायक सह पूर्व मंत्री एवं भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमर कुमार बाउरी ने कही।
वह मंगलवार को राजभवन के समक्ष राज्य में दलितों की उपेक्षा, शोषण, ठंड एवं भूख से लगातार हो रही मौत व अत्याचार के खिलाफ राजभवन के समक्ष आयोजित धरना में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि राज्य में 12.9 प्रतिशत आबादी अनुसूचित समाज की है और जब से महागठबंधन वाली हेमंत सरकार का गठन हुआ है तब से दलितों पर अत्याचार की घटना बढ़ गया है।
बोकारो के कसमार में भूखल घासी की भूख से मौत हो गई। लेकिन सरकार सिर्फ आश्वाशन देती रही।
मदद के नाम पर एक रुपया भी पीड़ित परिवार को नही दिया गया।
वहीं भूखल घासी के परिवार के दो सदस्यों की मौत भी भूखल घासी की मौत के मात्र छह महीने के अंदर हो गयी।
बावजूद इसके सरकार की और से कोई मुआवजा पीड़ित परिवार को नहीं मिला।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 के शुरू होते ही राज्य में ठंड से मौत का सिलसिला शुरू हो गया।
बोकारों के नावाडीह और गुमला जिला के पालकोट में एक एक दलित व्यक्ति की ठंड से मौत हो गई।
लेकिन सरकारी खजाने से एक रुपया भी मुआवजा के तौर पर पीड़ित परिवार को नही मिला।
यहां तक कि राज्य के दलित गरीब जनता को इस कड़ाके की ठंड में कम्बल तक राज्य सरकार के तरफ से नसीब नही हुआ। सरकार 10 एसटी के छात्रों को विदेश भेज रही है।
मैं इस योजना का स्वागत करता हूँ। लेकिन सरकार से पूछना चाहता हूं कि अनुसूचित समाज के बच्चों ने सरकार का क्या बिगाड़ा है, जिन्हें पढ़ने के लिए विदेश नही भेजा जा रहा।
उन्होंने मंच के माध्यम से सरकार से मांग किया कि अनुसूचित समाज के भी 10 छात्र छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजा जाए।
उन्होंने मांग किया कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति के लोगों को जाति, आय एव आवासीय प्रमाण पत्र एक तय समय के अंदर बनाने की प्रकिया अविलंब लागू करे।
वहीं राज्य भर के सफाई कर्मियों को राज्य सरकार सातवां वेतनमान के साथ नियमित करे, विभिन्न विभागों में कार्यरत अनुसूचित समाज के कर्मचारियों के पदोन्नति में आ रही विसंगतियों को दूर करे।
उन्होंने राज्य की वर्तमान स्थिति पर कहा कि हेमंत सरकार के राज में हमारी माँ, बहन और बेटी असुरक्षित है।
आये दिन उनके साथ कुकृत्य हो रही है और पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बनी हुई है।
ऐसे कई ज्वलंत मुद्दे है, जिसे लेकर आज राजभवन के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया गया है।
लेकिन सरकार इस धरना को हल्के में न ले, अगर समय रहते सरकार नही संभलती है तो आने वाले दिनों में इससे भी बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने मंच के माध्यम से राज्य के सभी दलितों से आग्रह किया कि वे संगठित हो और अपने हक और अधिकार की लड़ाई में भागीदार बने।
कार्यक्रम के बाद पांच पदाधिकारियों का एक दल राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर 13 सूत्री मांग पत्र सौंपा।