राजस्थान: दुनिया का पहला स्वदेशी हल्का अटैक हेलीकॉप्टर (Light Attack Helicopter) सोमवार को औपचारिक रूप से वायुसेना (Air Force) के बेड़े में शामिल हो गया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने खुद हेलीकॉप्टर (Helicopter) में 15 मिनट उड़ान भरकर इसकी ताकत को परखा। वायुसेना की परंपरा के अनुसार ‘वाटर कैनन सैल्यूट’ (Water Cannon Salute) देकर हेलीकॉप्टर का स्वागत किया गया।
रक्षामंत्री ने सबसे पहले ‘सर्वधर्म पूजा’ की और इसके बाद LCH के सामने खड़े होकर फोटो भी खिंचवाई। इस लड़ाकू हेलीकॉप्टर (Combat Helicopter) को ‘प्रचंड’ के नाम से जाना जाएगा।
एचएल से आज मिले 04 हेलीकॉप्टर
पाकिस्तान (Pakistan) की पश्चिमी सीमा को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए LCH की पहली स्क्वाड्रन ‘थनुष’ राजस्थान के जोधपुर में आज से शुरू की गई है।
HL से आज मिले चार हेलीकॉप्टर इस पहली स्क्वाड्रन (Squadron) में तैनात किए गए हैं। अब इसके बाद पाकिस्तान के साथ-साथ चीन सीमा की भी निगरानी करना ज्यादा आसान और सुरक्षित हो जाएगा।
साथ ही आतंकियों (Terrorists) और घुसपैठियों (Intruders) पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) को HAL से मिलने वाले अन्य लड़ाकू हेलीकॉप्टर इसी स्क्वाड्रन (Squadron) में शामिल किए जाएंगे। इस हेलीकॉप्टर को चीन की सीमा पर भी तैनात किए जाने की योजना है।
सबसे पहले LCH की सर्वधर्म पूजा
स्वदेशी हल्का अटैक हेलीकॉप्टर वायुसेना के बेड़े में शामिल करने के कार्यक्रम की शुरुआत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने नए LCH की सर्वधर्म पूजा करके की।
इसके बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) के CMD सीबी अनंतकृष्णनन ने LCH की चाबी के गुच्छा रक्षामंत्री को सौंपा।
राजनाथ सिंह ने एयर चीफ वीआर चौधरी (Air Chief VR Choudhary) को इसे सौंपने के साथ ही स्वदेशी हल्के अटैक हेलीकॉप्टर वायुसेना के बेड़े में शामिल करने की औपचारिकता पूरी की।
इस मौके पर परंपरा के अनुसार LCH को ‘वाटर कैनन सैल्यूट’ दिया गया। रक्षामंत्री ने 143 यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर के साथ 15 मिनट उड़ान भरी और LCH के सामने खड़े होकर फोटो भी खिंचवाई।
जोधपुर में LCH की यह पहली स्क्वाड्रन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ‘राष्ट्रीय रक्षा समर्पण पर्व’ के मौके पर पिछले साल 19 नवम्बर को भारतीय वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी को हल्के वजन वाले लड़ाकू हेलीकॉप्टर का मॉडल सौंपा था।
देश के सबसे बड़े और ताकतवर जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन (Jodhpur Air Force Station) पर स्वदेशी अटैकर हेलीकॉप्टर की तैनाती होने से पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा और ज्यादा मजबूत होगी।
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (light combat helicopter) की जोधपुर में तैनात LCH Airforce वर्जन की यह पहली स्क्वाड्रन है। LCH में प्रभावी लड़ाकू भूमिकाओं के लिए उन्नत तकनीकों और साइलेंट फीचर को शामिल किया गया है।
पाकिस्तान और चीन बॉर्डर पर होगी नजर
Air Force Day पर 8 अक्टूबर को 10 हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से वायुसेना को मिलेंगे। HAL से पहले बैच में मिलने वाले दस LCH इसी स्क्वाड्रन में शामिल किए जाएंगे। यह हेलीकॉप्टर पाकिस्तान के साथ-साथ चीन बॉर्डर पर भी नजर रखेंगे।
हालांकि औपचारिक तौर पर आज वायुसेना में शामिल होने से पहले ही दो LCH Helicopter पूर्वी लद्दाख से सटी LAC पर तैनात किए जा चुके हैं।
इसे दुश्मन की वायु रक्षा, काउंटर विद्रोह, खोज और बचाव, टैंक विरोधी, काउंटर सर्फेस फोर्स ऑपरेशंस इत्यादि जैसी भूमिकाओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
भारतीय सेना पहले ही बेड़े में कर चुकी है शामिल
इससे पहले 29 सितम्बर को भारतीय सेना (Indian Army) में स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को शामिल किया गया है।
पहला LCH औपचारिक रूप से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने सेना उड्डयन कोर के महानिदेशक को सौंपा। सेना ने LCH की पहली स्क्वाड्रन (Squadron) एक जून को बेंगलुरु में बनाई थी।
इस स्क्वाड्रन (Squadron) को अगले साल और बढ़ाया जाएगा, ताकि LAC पर चीन की गतिविधियों पर नजर रखकर उसकी हरकतों पर विराम लगाया जा सके।
सेना के मुताबिक वो अभी 95 LCH और खरीदेगी। इनकी सात यूनिट्स बनाई जाएंगी जिनमें से सात पहाड़ी इलाकों पर होंगी, क्योंकि ये हेलीकॉप्टर सियाचिन की चोटी पर भी लैंड कर सकता है।
कारगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी जरूरत
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (Light Combat Helicopter) ध्रुव हेलीकॉप्टर का विकसित रूप है। पहली बार 199 कारगिल युद्ध (kargil war) के दौरान इस तरह के अटैकर हेलीकॉप्टर की कमी महसूस हुई थी।
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर की रफ्तार अधिकतम 268 किलोमीटर प्रति घंटा है और इसकी रेंज 550 किलोमीटर है।
यह हेलीकॉप्टर लगातार 3 घंटे 10 मिनट की उड़ान भर सकता है। अधिकतम 6500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसमें 20 एमएम की गन होती है, जो हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमला कर सकती है। इसके अलावा इसमें चार हार्ड प्वाइंट्स होते हैं यानी रॉकेट्स, मिसाइल और बम एक साथ लगाए जा सकते हैं।
हेलीकॉप्टर में लगा है रडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम
इस हेलीकॉप्टर ने ट्रायल्स के दौरान सियाचिन, रेगिस्तान, जंगल या फिर 13-15 हजार फीट ऊंचे हिमालय के पहाड़ों पर उड़ान भरने की क्षमता को प्रदर्शित किया था।
इस हेलीकॉप्टर में लगे अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम (Avionics Systems) से दुश्मन न तो छिप सकता है, न ही इस पर हमला कर सकता है, क्योंकि ये सिस्टम इस हेलीकॉप्टर को मिसाइल का टारगेट बनते ही सूचना दे देते हैं।
इसके अलावा इसमें रडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम (Radar and Laser Warning System) लगा है। साथ ही शैफ और फ्लेयर डिस्पेंसर भी हैं, ताकि दुश्मन के मिसाइल (missile) और रॉकेटों (Rockets) को हवा में ध्वस्त किया जा सके।