नई दिल्ली: मुद्रास्फीति (Inflation) के लगातार नौवें महीने संतोषजनक स्तर से ऊपर रहने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को अब केंद्र सरकार (Central Government) को रिपोर्ट देकर इसका विस्तार से कारण बताना होगा। रिपोर्ट में यह बताना होगा कि महंगाई (Inflation) को निर्धारित दायरे में क्यों नहीं रखा जा सका और उसे काबू में लाने के लिये क्या कदम उठाये जा रहे हैं।
रिजर्व बैंक अधिनियम (Reserve Bank Act) के तहत अगर मुद्रास्फीति (Inflation) के लिये तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया गया है, तो RBI को केंद्र सरकार (Central Government) को रिपोर्ट देकर उसका कारण और महंगाई (Inflation) को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी।
मौद्रिक नीति रूपरेखा (Monetary Policy Framework) के 2016 में प्रभाव में आने के बाद से यह पहली बार होगा कि RBI को रिपोर्ट के जरिये सरकार को अपने कदमों के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी।
खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर बनाये रखने की मिली हुई है जिम्मेदारी
केंद्र सरकार (Central Government) की तरफ से रिजर्व बैंक (Reserve Bank) को मिली जिम्मेदारी के तहत RBI को खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाये रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
अब मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सचिव को आरबीआई अधिनियम (RBI Act) के तहत इस बारे में चर्चा के लिये MPC की अलग से बैठक बुलानी होगी और रिपोर्ट तैयार कर उसे केंद्र सरकार को भेजना होगा।
MPC द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (Bi-Monthly Monetary Policy Review) में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करती है।
मुद्रास्फीति लक्ष्य में चूक को लेकर भेजे जानी वाली रिपोर्ट दो पक्षों के बीच का गोपनीय मामला
मौद्रिक नीति समिति ( Monetary Policy Committee) की एक दिन की बैठक दिवाली के बाद हो सकती है क्योंकि केंद्रीय बैंक के वरिष्ठ अधिकारी इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (International Monetary Fund) और विश्वबैंक (World Bank) की बैठकों में भाग लेने के लिये अमेरिका में हैं।
पिछले महीने, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा था कि मुद्रास्फीति (Inflation) लक्ष्य में चूक को लेकर केंद्र को भेजे जानी वाली रिपोर्ट दो पक्षों के बीच का गोपनीय मामला (Confidential Matter) है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में यह 7.41 प्रतिशत रही
उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) जनवरी, 2022 से ही छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। सितंबर में यह 7.41 प्रतिशत रही।
मिली जिम्मेदारी में चूक
अगर मुद्रास्फीति (Inflation) औसतन लगातार तीन तिमाहियों तक निर्धारित ऊपरी सीमा से अधिक या निचली सीमा से नीचे रहती है, इसे RBI की तरफ से महंगाई (Inflation) को निर्धारित दायरे (Prescribed Range) में रखने को लेकर मिली जिम्मेदारी में चूक माना जाएगा।
केंद्रीय बैंक (Central Bank) महंगाई को काबू में लाने के लिये मई से ही नीतिगत दर (Policy Rate) में वृद्धि कर रहा है। उसने अबतक नीतिगत दर (Policy Rate) 1.9 प्रतिशत बढ़ायी है जिससे रेपो दर (Repo Rate) 5.9 प्रतिशत पर पहुंच गयी है।
RBI को रिपोर्ट नहीं देनी पड़ी
उल्लेखनीय है कि महामारी (Pandemic) के शुरूआती महीनों में तीन तिमाही से अधिक समय तक मुद्रास्फीति (Inflation)लक्ष्य के दायरे से बाहर रही थी। लेकिन ‘लॉकडाउन’ के कारण आंकड़ा संग्रह में तकनीकी कमियों (Technical Deficiencies) के कारण उस समय RBI को रिपोर्ट नहीं देनी पड़ी थी।