रांची: झारखंड में अल्पसंख्यकों की (Minorities in Jharkhand) पहचान और उनसे जुड़े मामलों को लेकर राज्य सरकार 18 अक्टूबर को अल्पसंख्यक समुदायों के संगठनों(Organizations of Minority Communities), प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगी।
इस संबंध में झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम (Jharkhand State Minorities Finance and Development Corporation) (SC,ST अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, झारखंड सरकार) ने सूचना जारी की है।
अल्पसंख्यक समुदाय के संगठनों के मान्यता प्राप्त या निबंधित प्रतिनिधियों को निगम के बलिहार रोड, मोरहाबादी, रांची स्थित कार्यालय के हॉल में 11 बजे बुलाया गया है, जिसमें उनसे मंतव्य मांगा जायेगा।
अल्पसंख्यकों की श्रेणी में बंगाली तथा उडिया भाषा बोलने वालों को किया गया शामिल
झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के मुताबिक (Jharkhand State Minorities Finance and Development Corporation) राज्य में मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध एवं पारसियों को धार्मिक अल्पसंख्यक माना गया है।
इसके अलावा राज्य में भाषाई अल्पसंख्यकों की श्रेणी में बंगाली तथा उडिया भाषा बोलने वालों को शामिल किया गया है।
समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ इस प्रक्रिया का पालन होना है
निगम के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में वकील (Lawyer in Supreme Court) अश्वनी कुमार उपाध्याय बनाम केंद्र सरकार (WP (सी), नं.-836/2020) के संदर्भ में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (Ministry of Minority Affairs) (भारत सरकार) ने विशेष पहल की है।
मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में पूर्व में हुई एक अहम बैठक में इस पर विचार हुआ था कि अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधियों से राज्यों में विमर्श किया जाये। इसी के आलोक में झारखंड में भी अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों के (Minority community Representatives in Jharkhand too) साथ इस प्रक्रिया का पालन होना है।
वास्तविकता की पहचान होनी चाहिये
जानकारी के मुताबिक यह याचिका इस संदर्भ में है कि कई राज्यों में अल्पसंख्यक समुदाय से आने वालों की आबादी तेजी से बढ़ी है।
अब वे कई जिलों, क्षेत्रों में बहुसंख्यक हो चुके हैं फिर भी अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली सुविधाओं को ले रहे हैं। ऐसे में इसकी वास्तविकता की पहचान होनी चाहिये।
बहुमत के साथ इस्लाम का पालन किया जाता हैं
उल्लेखनीय है कि राज्य में हिन्दू बहुसंख्यक (Hindu Majority in The State) हैं (2011 की जनगणना के मुताबिक)। कुल आबादी का 67.83 फीसदी हिन्दू धर्म का है।
राज्य के 24 में से 19 जिलों में सभी हिन्दू बहुसंख्यक धर्म के है। 3. 30 करोड़ में से मुस्लिम आबादी कुल 14.53 फीसदी (47.94 लाख) है।
एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हों या बहुमत के साथ इस्लाम का पालन किया जाता हो। ईसाई आबादी 4.30 प्रतिशत (14.19 लाख) है। केवल सिमडेगा जिला ऐसा है, जहां ईसाई बहुसंख्यक हैं।
संताल परगना के कई जिलों पाकुड़, साहेबगंज
इन दोनों के अलावा सिखों की आबादी 0.22 प्रतिशत, बौद्ध की 0.03 प्रतिशत, जैन की 0.05 फीसदी है। इसके अलावा अन्य धर्मावलंबियों की संख्या 12 फीसदी से अधिक है।
खूंटी, लोहरदगा, गुमला और पश्चिमी सिंहभूम जैसे जिलों में हिन्दुओं की तुलना में अन्य धर्मावलंबियों (मुस्लिम, ईसाई, सरना व अन्य) की संख्या अधिक है।
फिलहाल माना जाता है कि राज्य में 50 लाख से अधिक मुसलमान रहते हैं। संताल परगना के कई जिलों (Many Districts of Santal Parganas) पाकुड़, साहेबगंज में कुल आबादी का करीब 30 फीसदी इन्हीं का है। देवघर, जामताड़ा, लोहरदगा, गिरिडीह में यह औसत 20 फीसदी है।